अपडेटेड 1 December 2025 at 23:41 IST

आतंक पर प्रहार के लिए भारत तैयार, अब चीन-पाकिस्तान की धड़कन बढ़ाएगा ये इजरायली 'बाज'; रफ्तार देखकर कांप उठेंगे दुश्मन

ऑपरेशन सिंदूर के बाद इमरजेंसी नियमों के तहत भारत ने और इजरायली हेरॉन MK-II ड्रोन खरीदने की शुरुआत की है।

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Heron MK-II
Heron MK-II | Image: IAI

ऑपरेशन सिंदूर के बाद इमरजेंसी नियमों के तहत भारत ने और इजरायली हेरॉन MK-II ड्रोन खरीदने की शुरुआत की है। सूत्रों ने कहा कि अब भारत में एडवांस्ड UAV बनाने पर भी बातचीत चल रही है। यह एक ऐसा कदम है जो आखिरकार पूरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता बना सकता है और डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया की पहुंच को काफी बढ़ा सकता है।

एक सूत्र ने ANI को बताया, "तीनों ब्रांच ने MK-II खरीदने का फैसला किया है, और हमें बहुत गर्व है कि नेवी ने भी फैसला किया है।" IAI का बनाया हुआ, हेरॉन MK-II एक मीडियम-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस (MALE) अनमैन्ड एरियल व्हीकल है जिसका मैक्सिमम टेक-ऑफ वेट 1,430 kg है। यह 45 घंटे तक चल सकता है, 35,000 ft की सर्विस सीलिंग और 150 knots की टॉप स्पीड दे सकता है।

नेवी कितने ड्रोन खरीदने का प्लान बना रही?

सूत्रों ने यह बताने से मना कर दिया कि नेवी कितने ड्रोन खरीदने का प्लान बना रही है, लेकिन कहा कि अब फोकस हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और एलकॉम के साथ पार्टनरशिप के जरिए भारत में MK-II बनाने पर है। चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव के बाद भारत ने 2021 में इमरजेंसी पावर के तहत हेरॉन MK-II ड्रोन खरीदना शुरू किया था।

शुरू में चार यूनिट ऑर्डर किए गए थे- दो आर्मी के लिए और दो एयर फोर्स के लिए। जब यह साफ हो गया कि यह वेरिएंट हेरॉन MK-II है, हेरॉन TP नहीं। IAI के एक अधिकारी ने कहा, "हम मेक इन इंडिया को लेकर बहुत अवेयर हैं और अपने लोकल पार्टनर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि हम उन जरूरतों को पूरा कर सकें। हमारा एक पार्टनर HAL है, और दूसरा Elcom है। हमारा मकसद भारत में सिस्टम बनाना है, जिससे हेरॉन का इंडियन वर्जन बनेगा, न सिर्फ MK-II बल्कि दूसरे सिस्टम भी।"

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एडवांस्ड हेरॉन MK-II सिस्टम भी होंगे शामिल

IAI, MALE UAV सेगमेंट में आने वाले बड़े टेंडर के लिए जरूरी इंडिजिनस कंटेंट (IC) स्टैंडर्ड को पूरा करने के लिए भी काम कर रहा है, जिसके लिए 60 परसेंट लोकल काम और मैन्युफैक्चरिंग की जरूरत होती है। अधिकारी ने आगे कहा, "हम भविष्य के किसी भी प्रोजेक्ट में इसका लक्ष्य रख रहे हैं।" हेरॉन ड्रोन मुख्य रूप से चीनी और पाकिस्तानी दोनों सीमाओं पर लंबी दूरी की निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और बहुत असरदार साबित हुए हैं। इसके साथ ही, इंडियन एयर फोर्स और रक्षा मंत्रालय मौजूदा हेरॉन फ्लीट की निगरानी और लड़ाकू क्षमताओं को अपग्रेड करने के लिए प्रोजेक्ट चीता पर काम कर रहे हैं। भारत हाल के सालों में ज्यादा एडवांस्ड हेरॉन MK-II सिस्टम भी शामिल कर रहा है, जो सैटेलाइट कम्युनिकेशन (SATCOM) से लैस है जो लंबी दूरी के ऑपरेशन और लंबे मिशन को मुमकिन बनाता है।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 1 December 2025 at 23:41 IST