अपडेटेड 8 October 2025 at 11:14 IST

Tata Group: टाटा ग्रुप में आई दरार, सरकार तक पहुंचा विवाद...अमित शाह-सीतारमण से मिले नोएल टाटा, क्या है पूरा मामला?

Tata Trust Dispute: टाटा ट्रस्ट में मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। मीटिंग बोर्ड में नियुक्ति और गवर्नेंस के मुद्दों पर ट्रस्टियों के बीच चल रही खींचतान के बीच हुई।

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Tata Trust Rift
Tata Trust Rift | Image: Republic
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Tata Trusts Rift: उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद टाटा समूह में अंदरूनी लड़ाई चल रही है। टाटा ट्रस्ट में दो गुट बन गए हैं, जिसमें विवाद जारी है। ये विवाद अब इसलिए सुर्खियों में आया है क्योंकि टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष नोएल टाटा और टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। जानकारी के मुताबिक ये मुलाकात ट्रस्ट में चल रहे बोर्ड नियुक्तियों और गवर्नेंस से जुड़े आंतरिक विवाद के चलते हुई है।

अमित शाह के आवास पर हुई बैठक 

नोएल टाटा और चंद्रशेखरन ने टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा के साथ मंगलवार (8 अक्टूबर) को शाम को अमित शाह के आवास पर बैठक की। शाह के आवास पर इस बैठक में बैठक के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल हुईं।

पहले ऐसी खबरें सामने आ रही थी कि टाटा ग्रुप्स में चल रहे टकराव में सरकार हस्तक्षेप के लिए तैयार है। इसके लिए सरकार के वरिष्ठ मंत्री टाटा ग्रुप के लीडर्स से मिलेंगे। जानकारी के अनुसार टाटा ग्रुप में ये जो विवाद चल रहा है, वो 180 अरब डॉलर से ज्यादा के कामकाज को प्रभावित कर सकता है।

क्या है विवाद? 

दरअसल, रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया था। जानकारी के अनुसार अब टाटा ट्रस्ट में दो गुट बन गए हैं। एक गुट नोएल टाटा, तो दूसरा गुट चार ट्रस्टीज का है। चार सदस्यीय वाले इस दूसरे ग्रुप का नेतृत्व मेहली मिस्त्री कर रहे हैं। मेहली का संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से है, जो टाटा संस का लगभग 18.37% हिस्सा रखता है।

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उनका कहना है कि  उन्हें महत्वपूर्ण मामलों में दूर रखा गया है। खासतौर पर मुख्य विवाद का कारण टाटा संस में बोर्ड सीटें बताया जा रहा है, जो 156 साल पुराने ग्रुप को नियंत्रित करती हैं। इसमें 30 लिस्टेड कंपनियों समेत करीब 400 कंपनियां शामिल हैं।

सितंबर में बैठक के बाद बढ़ा टकराव

जानकारी है कि इस विवाद की शुरुआत 11 सितंबर को एक बैठक से हुई थी। 11 सितंबर को पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह की टाटा संस बोर्ड में नामित निदेशक के रूप में पुनर्नियुक्ति पर विचार करने के लिए मीटिंग रखी गई। विजय सिंह समेत टाटा ट्रस्ट्स के सात ट्रस्टी हैं। वो इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे। उनकी पुनर्नियुक्ति का प्रस्ताव ट्रस्ट्स के अध्यक्ष नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने रखा था। चार ट्रस्टियों मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहागीर और डेरियस खंबाटा ने इस प्रस्वात का विरोध किया, जिसके कारण ये अस्वीकार हो गया।

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फिर इन चारों ट्रस्टियों की ओर से मेहली मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड में नामित करने की मांग की गई, लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद विजय सिंह ने खुद टाटा संस के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। इस बीच अब 10 अक्टूबर को टाटा ट्रस्ट्स बोर्ड की भी एक बैठक भी होनी है, जिस पर सभी की नजरें टिकी है।

दरअसल, ट्रस्ट्स में ये टकराव देश के सबसे बड़े औद्योगिक ग्रुप पर असर डाल सकता है, इसलिए सरकार इसमें दखल देने की जरूरत महसूस कर रही है।

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Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 8 October 2025 at 11:14 IST