अपडेटेड 16 January 2025 at 18:25 IST

गौतम अडानी के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च ने कारोबार समेटा

अमेरिकी निवेश एवं अनुसंधान कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपना कारोबार समेट लिया है। गौतम अडानी समूह के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने के बाद यह कंपनी चर्चा में आ गई थी।

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Hindenburg-Adani saga
Hindenburg-Adani saga | Image: Republic

अमेरिकी निवेश एवं अनुसंधान कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपना कारोबार समेट लिया है। इसके संस्थापक नैट एंडरसन ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उद्योगपति गौतम अडानी और उनके समूह के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने के बाद यह कंपनी चर्चा में आ गई थी। हिंडनबर्ग की शुरुआत 2017 में की गई थी।

एंडरसन (40) ने यह घोषणा डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से कुछ ही दिन पहले की है। हालांकि, उन्होंने अपने निर्णय के पीछे काम में गहन संलिप्तता को कारण बताया है, लेकिन आलोचकों ने जॉर्ज सोरोस के साथ हिंडनबर्ग के कथित संबंधों और आगामी ट्रंप प्रशासन के भारी दबाव को इसकी मुख्य वजह करार दिया है।

इस खबर के आने के बाद अडानी समूह के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर रॉबी सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ कितने गाजी आए, कितने गाजी गए।’’

अडानी ग्रुप के खिलाफ घोटाले का लगाया था आरोप

हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें अडानी समूह पर ‘‘कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला करने’’ का आरोप लगाया गया था। समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी तथा वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के आने के बाद समूह की कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में 150 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई थी।

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अडानी समूह ने हालांकि इन सभी आरोपों का खंडन किया था। एंडरसन ने कंपनी की वेबसाइट पर साझा किए एक पत्र में लिखा, ‘‘ इसके पीछे कोई खास वजह नहीं है..कोई खतरा नहीं, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं और कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं है। इस काम में जो अत्यधिक संलिप्तता से मैं बाकी दुनिया और उन लोगों से दूर हो रहा था जिनकी मुझे परवाह है। अब मैं हिंडनबर्ग को अपने जीवन का एक अध्याय मानता हूं, न कि कोई ऐसी चीज जो मुझे परिभाषित करती है।’’

हमने कुछ ऐसे साम्राज्यों को हिला दिया…: एंडरसन

एंडरसन ने लिखा, ‘‘ हमने कुछ ऐसे साम्राज्यों को हिला दिया, जिन्हें हिलाने की हमें जरूरत महसूस हुई।’’ उन्होंने लिखा कि नियामकों द्वारा जिन लोगों पर दीवानी या आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, उनमें अरबपति और कुलीन वर्ग के लोग शामिल हैं।

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अगले छह महीनों में वह हिंडनबर्ग के मॉडल पर वीडियो और सामग्रियों की एक श्रृंखला पर काम करने की योजना बना रहे हैं, ताकि अन्य लोग जान सकें कि कंपनी ने जांच कैसे की। उन्होंने कहा, ‘‘ फिलहाल मैं यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करूंगा कि हमारे दल का हर सदस्य वहां पहुंचे जहां वे आगे बढ़ना चाहते हैं। इसलिए अगले छह महीने में, मैं हमारे मॉडल के हर पहलू और हम अपनी जांच कैसे करते हैं, इसके बारे में ‘ओपन-सोर्स’ के लिए सामग्री तथा वीडियो की एक श्रृंखला पर काम करने की योजना बना रहा हूं।’’

‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को दिए गए एक साक्षात्कार में एंडरसन ने कहा कि वह अपने शौक पूरे करने, यात्रा करने और अपनी मंगेतर तथा उनके बच्चे के साथ समय बिताने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने भविष्य के लिए पर्याप्त धन जोड़ लिया है। वह अपने पैसे को कम तनाव वाले निवेश में लगाने की योजना बना रहे हैं।

अमेरिका संसद की न्यायिक समिति के सदस्य रीप लांस गुडेन के अमेरिकी न्याय मंत्रालय से उद्योगपति गौतम अडानी और उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ जो बाइडन प्रशासन में चलाए गए ‘‘चुनिंदा अभियोजन’’ के संबंध में सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का अनुरोध करने के कुछ दिन बाद एंडरसन ने कंपनी को बंद करने की घोषणा की है।

अडानी के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने इसपर आधारित वादियों की याचिका को खारिज कर दिया था और समय के साथ अडानी समूह ने मजबूत परिचालन प्रदर्शन तथा शेयरों में हुए नुकसान की भरपाई के साथ खोई हुई जमीन वापस पा ली।

निवेशक अजय बग्गा ने कहा कि हिंडनबर्ग एक ‘ग्रे जोन’ में काम कर रहा था, नकारात्मक रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा था और ऐसी स्थिति उत्पन्न कर रहा था कि शेयरों के दाम में गिरावट पर खरीद की जाए (शॉर्ट पोजीशन) जिसमें ‘हेज फंड’ के माध्यम से भी निवेश करना शामिल था, जो अपनी स्थिति का खुलासा नहीं कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे निवेशक (शॉर्ट सेलर्स) शायद ही कभी स्थायी लाभ कमा पाते हैं। यही कारण है कि जो कुछ लोग ऐसा करते हैं, जैसे कि 2008 में हुआ, उसकी चर्चा होती है। लंबी अवधि में कुछ ही लाभ कमा पाते हैं। नियामकीय कार्रवाई हो सकती है और दंड से बचने का एक तरीका चुपचाप कारोबार समेटना हो सकता है। उम्मीद है कि उन पर मुकदमा चलाया जाएगा और अगर उनके खिलाफ कोई नियामकीय या कानूनी कार्रवाई जारी है तो उन्हें इतनी आसानी से नहीं छोड़ा जाएगा।’’

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 16 January 2025 at 18:21 IST