अपडेटेड 1 February 2025 at 22:20 IST

आम बजट बेरोजगारी और महंगाई से कोई राहत नहीं दिलाएगा : अशोक गहलोत

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया जताते हुए शनिवार को कहा कि यह बजट बेरोजगारी और महंगाई से कोई राहत नहीं दिलाने वाला है।

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Ashok Gehlot
Ashok Gehlot | Image: PTI

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया जताते हुए शनिवार को कहा कि यह बजट बेरोजगारी और महंगाई से कोई राहत नहीं दिलाने वाला है।

गहलोत ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “अब केंद्र सरकार 2022 तक देश को 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के वादे का जिक्र क्यों नहीं करती है? यह बजट लगातार बढ़ते व्यापार घाटे, डॉलर के बढ़ते मूल्य, बेरोजगारी और महंगाई से कोई राहत दिलाने वाला नहीं है। आज केंद्र सरकार ने दिल्ली और बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए घोषणाएं कीं, जो देश पर कर्ज का बोझ बढ़ाने वाली साबित होंगी।”

उन्होंने कहा कि यह भी बेहद आश्चर्यजनक है कि देश के सामने मौजूद दो बड़ी चुनौतियों-महंगाई और बेरोजगारी का इस बजट में जिक्र तक नहीं है, जबकि तमाम एजेंसियों के आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में महंगाई और बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान पर बार-बार आरोप लगाए गए कि यहां जल जीवन मिशन के तहत धीमा काम हो रहा है, जबकि हमारे यहां की भौगोलिक परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “आज केंद्र सरकार ने ही इस मिशन की समयसीमा 2028 तक बढ़ा दी, जो पहले 2022 और फिर 2024 की गई थी। इससे साफ होता है कि केंद्र सरकार ने पहले बिना योजना के इस योजना को शुरू कर दिया, जिसके कारण इसकी समयसीमा बार-बार बढ़ाई जा रही है।”

गहलोत ने कहा, “राजस्थान की जनता को उम्मीद थी कि आज ईआरसीपी और यमुना जल समझौते को लेकर केंद्र सरकार कोई बड़ी घोषणा करेगी और इन्हें राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देगी, लेकिन पूरे बजट में राजस्थान का नाम तक नहीं लिया गया।”

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उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार ने आयकर सीमा 12 लाख रुपये करने की घोषणा की है, लेकिन इसे केवल नौकरीपेशा वर्ग तक सीमित रखा है, जबकि भारत में करोड़ों छोटे व्यापारी हैं, जिन्हें इस छूट में शामिल किया जाना चाहिए था, क्योंकि वे पहले ही माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से परेशान हैं।

गहलोत ने कहा, “हरियाणा और पंजाब की सीमा पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन जारी है। डल्लेवाल के साथ महीनों से आंदोलनरत किसानों को उम्मीद थी कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की घोषणा की जाएगी, लेकिन बजट में ऐसा नहीं हुआ है।”

उन्होंने कहा, “राजस्थान के अखबारों में रोज एमएसपी के बिना फसलों की खरीद की खबरें छप रही हैं। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार एमएसपी पर चुप क्यों हो जाती है।”

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 1 February 2025 at 22:20 IST