अपडेटेड 29 March 2025 at 14:15 IST
म्यांमार जब भूकंप से तबाह हुआ, हिंसा की आग में जल रहा था भारत का पड़ोसी मुल्क; नेपाल में किस बात का विवाद?
नेपाल में शुक्रवार को हिंसक राजशाही विरोध प्रदर्शन में दो लोगों, एक प्रदर्शनकारी और एक मीडियाकर्मी की जान चली गई। नतीजन कर्फ्यू लगाना पड़ा।
Nepal violence: जब भारत का पड़ोसी म्यांमार शक्तिशाली भूकंप से बचने की कोशिश कर रहा था, तब एक दूसरे पड़ोसी मुल्क नेपाल में आग लगी थी। नेपाल में ये आग हिंसा के बाद भड़की थी। दो लोग इस हिंसा में बेमौत मारे गए, जबकि कम से कम 112 लोग घायल हो गए, जिनमें 77 सुरक्षा अधिकारी शामिल थे।
नेपाल सरकार संवैधानिक राजतंत्र की बहाली की मांग कर रहे पूर्व राजा के समर्थकों की रैली के दौरान हुई घातक हिंसा की जांच कर रही है।अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने घरों, दुकानों, एक अस्पताल, एक राजनीतिक पार्टी कार्यालय, वाहनों और एक शॉपिंग मॉल में तोड़फोड़ की और पुलिस से हथियार छीन लिए। पुलिस ने राजधानी काठमांडू में संसद भवन की ओर मार्च करने वाली पत्थरबाजी करने वाली भीड़ को रोकने के लिए बल प्रयोग किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा मामले में राजशाही समर्थक कुछ नेताओं समेत 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया जा चुका है।
नेपाल में हिंसा की वजह क्या है?
नेपाल की 239 साल पुरानी राजशाही को 2008 में माओवादी पूर्व विद्रोहियों के साथ एक समझौते के तहत समाप्त कर दिया गया था। इससे 1996 और 2006 के बीच लगभग 17000 लोगों की जान लेने वाले विद्रोह का भी अंत हुआ। इस आंदोलन को 'पीपुल्स मूवमेंट II' के रूप में भी जाना जाता है। नेपाल के अंतिम राजा 77 वर्षीय ज्ञानेंद्र शाह रहे, जो फिलहाल काठमांडू में एक निजी घर में अपने परिवार के साथ एक आम नागरिक की तरह रहते हैं।
हालांकि नेपाल में कुछ लोग और संगठन फिर से राजशाही वापस चाहते हैं। राजशाही के साथ नेपाल में हिंदू राज्य की बहाली की मांग करते हुए कई राजशाही समर्थक और हिंदू संगठन नेपाल में आवाज उठा रहे हैं। 2022 की जनगणना के अनुसार हिमालयी राष्ट्र नेपाल की जनसंख्या 30.55 मिलियन है, जिसमें हिंदू आबादी 81.19 प्रतिशत है। ये लोग हालिया दिनों में काठमांडू केंद्रित विरोध प्रदर्शन के लिए एक साथ आए। 9 मार्च को उन्होंने पोखरा से लौटने पर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का स्वागत किया था।
काठमांडू में विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़की
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार को हुए हिंसक राजशाही विरोध प्रदर्शन में दो लोगों, एक प्रदर्शनकारी और एक मीडियाकर्मी की जान चली गई। इसके परिणामस्वरूप शुक्रवार शाम को कर्फ्यू लगा दिया गया और नेपाल सेना को तैनात कर दिया गया। बताया जाता है कि राजशाही समर्थक व्यवसायी दुर्गा प्रसाद ने कथित तौर पर पुलिस की गाड़ी को टक्कर मार दी, जिससे हिंसक झड़प शुरू हो गई। आगजनी, पथराव के बाद पुलिस की तरफ से कथित तौर पर गोलियां चलाई गईं।
नेपाल पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा, महासचिव धवल सुमशेर राणा, स्वागत नेपाल, शेफर्ड लिम्बू और संतोष तमांग जैसे राजशाही समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ कुछ अन्य नेताओं समेत 51 लोगों को गिरफ्तार किया है। उसके अलावा काठमांडू के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू हटा लिया गया है। राजशाही समर्थक आंदोलन के मुख्य कॉर्डिनेटर नवराज सुबेदी को घर में नजरबंद रखा गया है और नेपाल में सुरक्षा एजेंसियां राजशाही आंदोलन के मुख्य कमांडर दुर्गा प्रसाद की तलाश कर रही हैं।
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 29 March 2025 at 13:18 IST