अपडेटेड 19 February 2025 at 12:41 IST

भारत के पास बहुत पैसा, हम उसे क्‍यों दे रहे 2.1 करोड़ डॉलर..., USAID फंड का नाम लेकर क्या-क्या बोल गए ट्रंप?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आवंटन के मकसद पर सवाल उठाया है।

US President Donald Trump | Image: AP

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आवंटन के मकसद पर सवाल उठाया है। उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘भारत दुनिया में सबसे अधिक कर लगाने वाले देशों में से एक है’।’’ उन्होंने ये टिप्पणियां एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई (सरकारी कार्यदक्षता विभाग) द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद की कि ‘यूएसएड’ ने भारत में मतदान में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग को 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है।

निजी अमेरिकी वांतरिक्ष (एयरोस्पेस) और अंतरिक्ष परिवहन सेवा कंपनी स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन (स्पेसएक्स) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मस्क के नेतृत्व में 16 फरवरी को सरकारी कार्यदक्षता विभाग ने उन सभी मदों की सूची बनाई जिन पर ‘‘अमेरिकी करदाताओं के पैसे खर्च किए जाएंगे।’’ इस सूची में ‘‘भारत में मतदान के दौरान मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर’’ का अनुदान भी शामिल था। सरकारी कार्यदक्षता विभाग ने बताया कि इन सभी मदों को रद्द कर दिया गया है।

बांग्लादेश और नेपाल का आवंटन किया रद्द

इस सूची में ‘‘बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने’’ के लिए 2.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का आवंटन, साथ ही नेपाल में ‘‘राजकोषीय संघवाद’’ के लिए दो करोड़ अमेरिकी डॉलर और वहां ‘‘जैव विविधता संरक्षण’’ के लिए 1.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का आवंटन भी शामिल है, जिन्हें रद्द कर दिया गया है।

अपने स्वामित्व वाले निजी रिजॉर्ट ‘मार-ए-लागो’ में मंगलवार को कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा, ‘‘...भारत में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता हम क्यों दे रहे हैं? उनके पास बहुत पैसा आता है। हमारे संदर्भ में भारत दुनिया में सबसे अधिक कर लगाने वाले देशों में से एक है। उनके शुल्क बहुत अधिक हैं...’’ उन्होंने मंगलवार को कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें संघीय सरकार द्वारा करदाताओं के पैसे की फिजूलखर्ची के बारे में ‘आमूल-चूल पारदर्शिता’ की आवश्यकता वाले ज्ञापन शामिल थे।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 19 February 2025 at 12:41 IST