अपडेटेड 17 July 2025 at 23:00 IST

Non Veg Milk: क्या बला है ये नॉन वेज मिल्क? अमेरिका के साथ भारत की ट्रेड डील में क्यों बन रहा रुकावट

अमेरिका के साथ भारत की ट्रेड डील में नॉनवेज मिल्क रुकावट बन रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर नॉन वेज मिल्क क्या है, जिसे लेकर चर्चा हो रही है।

नॉनवेज मिल्क क्या है? | Image: Canva

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर चर्चा जारी है। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर 1 अगस्त 2025 तक की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेडलाइन तय कर दी है। इस तारीख तक अगर दोनों देशों के बीच ट्रेल डील पर मुहर नहीं लगती है, तो फिर राष्ट्रपति ट्रंप का मनमाना टैरिफ भारत को झेलना पड़ सकता है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच डेयरी और फार्मिंग को लेकर बातचीत जारी है। इसमें नॉनवेज मिल्क को लेकर काफी चर्चा चल रहा है।

दरअसल, अमेरिका भारत के डेयरी मार्केट में एंट्री करना चाहता है। यही कारण है कि नॉनवेज मिल्क को लेकर विवाद हो रहा है। दरअसल, अमेरिका के मांसाहारी दूध को भारतीय बाजार में बेचने को लेकर दिक्कत आ रही है।

नॉनवेज मिल्क भारत-अमेरिका ट्रेड डील में बनी रुकावट!

भारत में डेयरी मार्केट की अगर बात करें तो करीब 8 करोड़ लोगों का इस क्षेत्र में रोजगार है। वहीं अगर दूध की बात करें तो भारत में सभी प्रकार को दूध बिल्कुल शाकाहारी होते हैं। हालांकि, अमेरिका में ऐसा कुछ नहीं है। अमेरिका में मांसाहारी दूध मिलते हैं। ऐसे में नॉववेज दूध भारत के साथ ट्रेडडील में रुकावट बनता नजर आ रहा है। आइए जानते हैं कि नॉनवेज मिल्क होता क्या है।

क्या होता है नॉनवेज मिल्क?

अमेरिका में मिलने वाला नॉनवेज मिल्क उन जानवरों का दूध होता है, जो मांस या फिर नॉनवेज चीजें खाते हैं। अमरेकि में गाय को जो चारा खिलाया जाता है, उसमें नॉनवेज भी मिला होता है। अमेरिका में गाय को सूअर, मछली, बिल्ली, घोड़े आदि के मांस खिलाए जाते हैं।

इतना ही नहीं, इन्हें प्रोटीन के लिए घोड़े और सूअर का खून भी पिलाया जाता है। इसी वजह से ऐसा चारा खाने वाली गाय से निकले दूध को नॉनवेज मिल्क कहा जाता है।

भारत में सभी मवेशियों को केवल शाकाहारी चारा खिलाया जाता है। यही कारण है कि इन मवेशियों से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल लोग पूजा-पाठ या फिर व्रत में भी कर लेते हैं।

अगर डेयरी को लेकर भारत के साथ अमेरिका की डील पक्की हो जाती है, तो फिऱ इससे भारतीय किसानों को काफी नुकसान हो सकता है। अगर अमेरिका के डेयरी प्रोडक्ट्स बारतीय बाजार में आते हैं, तो इससे भारतीय किसानों के मेहनत को नुकसान पहुंचेगा। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार इससे भारत को हर साल करीब 1.3 लाख करोड़ का नुकसान हो सकता है।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 17 July 2025 at 23:00 IST