अपडेटेड 19 March 2025 at 07:25 IST
हार्ट अटैक का खतरा, कैंसर का डर, हर महीने हड्डी का टूटना...धरती पर आसान नहीं होगा अंतरिक्ष से लौटीं सुनीता विलियम्स का जीवन
अंतरिक्ष में इतने समय तक रहने के चलते सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने बाद धरती पर वापस लौट आए हैं। बुधवार तड़के स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए फ्लोरिडा के तट पर उनकी सफल लैंडिंग हुई। सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष मिशन सिर्फ 8 दिनों का था लेकिन टेक्निकल सम्सयाओं के चलते वो 9 महीने तक अंतरिक्ष में फंसे रहे। अंतरिक्ष में इतने समय तक रहने के चलते सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में अंतरिक्ष यात्री माइक्रोग्रेविटी में तैरते हैं। ये उनके शरीर पर काफी प्रभाव डालता है। ऐसे में अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। पृथ्वी पर हमारे शरीर को हमेशा गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करना पड़ता है, जिससे हमारी मांसपेशियों और हड्डियों को लगातार व्यायाम मिलता है। लेकिन अंतरिक्ष में इस प्रतिरोध के बिना, मांसपेशियों की ताकत और हड्डियों का घनत्व घटने लगता है, क्योंकि शरीर को अपना वजन सहने की आवश्यकता नहीं होती। अंतरिक्ष यात्री हर महीने अपनी हड्डियों का 1% हिस्सा खो सकते हैं। विशेष रूप से कमर, कूल्हे और जांघ की हड्डियों में। इससे पृथ्वी पर लौटने के बाद हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक का भी बढ़ जाता है खतरा
लंबे समय तक ISS में रहने से अंतरिक्ष यात्री के हार्ट पर भी असर पड़ता है। दरअसल, माइक्रोग्रैविटी में हार्ट को ब्लड पंप करने में उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जितनी पृथ्वी पर करनी पड़ती है। इस कमी के कारण हृदय का आकार बदल जाता है। शोधों से पता चला है कि अंतरिक्ष यात्रियों के हृदय का आकार लगभग 9.4% अधिक गोल हो जाता जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर होने की संभावना अधिक
अंतरिक्ष में उच्च-ऊर्जा कॉस्मिक रेडिएशन से कोई सुरक्षा नहीं होती। अंतरिक्ष यात्री सूर्य से उच्च स्तर की रेडिएशन का सामना करते हैं, जो पृथ्वी पर हर दिन एक सीने का एक्स-रे लेने के बराबर होता है। 9 महीने में, सुनीता विलियम्स ने लगभग 270 एक्स-रे के बराबर रेडिएशन का सामना किया। लंबे समय तक इस रेडिएशन के संपर्क में आने से प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो सकता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 19 March 2025 at 07:25 IST