अपडेटेड 11 September 2025 at 23:27 IST
EXPLAINER/ नेपाल का अंतरिम PM कौन? मचा घमासान, सुशीला कार्की के बाद दुर्गा प्रसाई का नाम आते ही क्यों भड़के युवा, अब रायशुमारी की नौबत
नेपाल में तख्तापलट के दो दिन बाद भी नई सरकार का गठन अधर में लटका है। राजधानी से लेकर गांवों तक सियासी माहौल गरम है, लेकिन नेतृत्व को लेकर तस्वीर धुंधली ही बनी हुई है।
नेपाल में तख्तापलट के दो दिन बाद भी नई सरकार का गठन अधर में लटका है। राजधानी से लेकर गांवों तक सियासी माहौल गरम है, लेकिन नेतृत्व को लेकर तस्वीर धुंधली ही बनी हुई है। सेना मुख्यालय के बाहर सैकड़ों Gen-Z समर्थक दो गुटों में बंटे दिखे। किसी का भरोसा नए नामों पर था, तो कोई इसपर अपना विरोध जता रहा था। बुधवार को आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर बहस इतनी तेज हो गई कि युवाओं के दो गुटों में हाथापाई हो गई, जिससे साफ है कि इस बार परिवर्तन की राह आसान नहीं।
इस हिंसा के बीच अधिकांश युवा मांग कर रहे हैं कि अंतरिम सरकार के गठन की हर प्रक्रिया पूरी तरह सार्वजनिक हो। गुटबाजी का कारण बना विवादित कारोबारी दुर्गा प्रसाई का सेना के दफ्तर बुलाया जाना और पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम सामने आना। प्रसाई पर आरोप हैं कि वे पाले बदलते रहते हैं। उनकी पुरानी फोटो केपी शर्मा ओली और प्रचंड के साथ वायरल भी हो चुकी है। यही वजह रही कि युवक खुलेआम कह रहे हैं कि आंदोलन को बिकने नहीं देंगे।
इधर, नेतृत्व को लेकर नामों की लिस्ट भी बदल रही है। बुधवार तक कई यूथ ग्रुप्स सुशीला कार्की का समर्थन कर रहे थे, पर शाम तक बहुमत ने उनके नाम पर ऐतराज कर दिया। कहा गया कि न्यायपालिका की गरिमा प्रभावित न हो, इसके अलावा उम्र का पहलू और संविधान में पूर्व जज के लिए पीएम बनने की बात को जेनरेशन जेड के द्वारा स्वीकार ना करना भी बड़ी वजह बनी। काठमांडू के मेयर बालेन शाह शुरुआती पसंद थे, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अंतरिम सरकार में कोई पद नहीं लेंगे। उन्होंने साफ कहा, "अंतरिम पीएम का काम सिर्फ चुनाव कराना है, यहां खुद को आगे नहीं लाया जाना चाहिए।"
कुलमन घीसिंग का नाम आया सामने
ऐसे में अब जो नाम सबकी जुबान पर है, वो है इंजीनियर कुलमन घीसिंग का। 54 साल के कुलमन को युवा 'हीरो' मानते हैं, जिन्होंने 2016-18 में नेपाल से घंटों की लोडशेडिंग खत्म करवाई थी। बिजली चोरी पर नकेल कसी, सिस्टम को कड़ा किया और नेपाल को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया। जब ओली सरकार ने इसी साल मार्च में उन्हें पद से हटाया, तभी हजारों युवा सड़कों पर निकल आए थे। आज वही युवा उनके नाम पर एकजुट हो रहे हैं।
अभी तक कोई एक नेतृत्व नहीं उभरा है। Gen-Z आंदोलनकारी पूरे देश के 77 जिलों से युवाओं की राय ले रहे हैं, सबका साझा दस्तावेज राष्ट्रपति और सेना प्रमुख को सौंपा जाएगा। खुद बालेन शाह ने सोशल मीडिया पर युवाओं से संयम और एकता की अपील की। उन्होंने कहा, "इतिहास का मौका है, सिर्फ भावनाओं में बहकर फैसला न करें।" बालेन शाह ने राष्ट्रपति से संसद भंग कर अंतरिम सरकार बनाने की सिफारिश भी की है।
वहीं आंदोलनकारी साफ बोल रहे हैं कि "सेना या विदेशी ताकतों से सत्ता नहीं चाहिए, हमें ईमानदार, गैर-राजनीतिक और अपनेपन से देश चलाने वाला नेतृत्व चाहिए।" अंदरूनी खींचतान, नए नामों को लेकर असहमति और जन-सहयोग की जटिलता बड़ी चुनौती बन गई है।
कौन हैं कुलमन घीसिंग?
25 नवंबर 1970 को बेथन, रामेछाप में जन्मे घीसिंग का एक सुदूर गांव से राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि तक का सफर उनके समर्पण और विशेषज्ञता का प्रमाण है। उन्होंने भारत के जमशेदपुर स्थित क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Regional Institute of Technology) और बाद में नेपाल के पुलचौक इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। अपनी नेतृत्व क्षमता को और निखारने के लिए उन्होंने एमबीए भी किया।
घीसिंग ने 1994 में एनईए में एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया। इन वर्षों में, उन्होंने तकनीकी और प्रशासनिक, दोनों ही भूमिकाओं में व्यापक अनुभव प्राप्त किया, जिसमें जलविद्युत परियोजनाओं में महत्वपूर्ण पद भी शामिल थे।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 11 September 2025 at 23:27 IST