अपडेटेड 17 November 2025 at 23:55 IST
मौत की सजा के बाद शेख हसीना के पास बचा है सिर्फ इतना वक्त, अब बांग्लादेश की पूर्व PM के लिए क्या-क्या हैं ऑप्शन?
Bangladesh News : बांग्लादेश के ICT ने पूर्व पीएम शेख हसीना को 2024 छात्र आंदोलन की हिंसा के लिए फांसी की सजा सुनाई। भारत में शरण ले रही हसीना ने इसे राजनीतिक साजिश बताया।
Sheikh Hasina News : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है। इस फैसले ने शेख हसीना के लिए खतरा नया खतरा पैदा कर दिया है। यह फैसला जुलाई-अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जुड़े मामलों पर आधारित है। इस फैसले के बाद हसीना की पार्टी बांग्लादेश आवामी लीग के राजनीतिक वजूद पर भी खतरा मंडरा रहा है।
शेख हसीना ने ICT के इस फैसले को पूरी तरह खारिज कर दिया है और इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है, लेकिन अब उनके और उनकी पार्टी अवामी लीग के सामने सीमित विकल्प बचे हैं। जिनमें से एक भी आसान नहीं लगता। ICT कानून की धारा 21 के अनुसार अब शेख हसीना को 30 दिनों के अंदर या तो गिरफ्तारी देनी होगी या फिर अदालत में आत्मसमर्पण करना होगा। इसके बाद ही वो बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट की अपीलेट डिवीजन में अपील दाखिल कर पाएंगी। ICT ने हसीना को तीन प्रमुख मामलों में दोषी पाया है।
- पहला- न्याय में बाधा डालना
- दूसरा- निहत्थे नागरिकों की हत्या का आदेश देना
- तीसरा- सजा के रूप में की गई हत्याओं को रोकने में विफल रहना।
इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के अनुसार, ये अपराध हसीना और उनके सहयोगियों के निर्देश पर हुए थे। 2024 के छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद हसीना को 5 अगस्त, 2024 को देश छोड़ना पड़ा। ट्रिब्यूनल ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध माना और उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनवाई सुनाई है।
अब क्या करेंगी हसीना?
ICT के इस फैसले के बाद शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के पास अब सीमित विकल्प बचे हैं। कानूनी रूप से उनके पास अब सिर्फ दो रास्ते बचे हैं, जो ICT एक्ट 1973 की धारा 21 के तहत निर्धारित हैं।
- समर्पण या गिरफ्तारी और अपील का रास्ता: शेख हसीना को फैसले की तारीख से 30 दिनों के अंदर यानी 17 दिसंबर 2025 तक बांग्लादेशी अदालत में आत्मसमर्पण करना होगा या गिरफ्तार हो जाना होगा। इसके बाद वे बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय की अपीलीय इकाई में अपील दायर कर सकती हैं। अपील की सुनवाई 60 दिनों के अंदर पूरी होनी चाहिए, यानी फरवरी 2026 तक। लेकिन इसके लिए हसीना को देश लौटना पड़ेगा, जो वर्तमान परिस्थितियों में लगभग असंभव लगता है। वे भारत में सुरक्षित महसूस कर रही हैं और वापसी का कोई संकेत नहीं दिया है।
- समर्पण न करने पर अंतिम फैसला: यदि 30 दिनों के अंदर कोई कदम नहीं उठाया गया, तो अपील का अधिकार हमेशा के लिए खो जाएगा। सजा अंतिम हो जाएगी और अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम आसान हो जाएंगे। इससे हसीना की राजनीतिक वापसी की सारी उम्मीदें धूमिल पड़ जाएंगी।
ट्रिब्यूनल ने अभी फांसी की तारीख घोषित नहीं की है, लेकिन अपील न करने पर यह प्रक्रिया तेज हो सकती है। हसीना के वकील अपील दायर कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।
यह फैसला न सिर्फ हसीना के लिए बल्कि बांग्लादेश की राजनीति के लिए भी बड़ा अहम है। अवामी लीग, जो लंबे समय से सत्ता में रही, अब अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। हसीना के समर्थक इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, जबकि आलोचक इसे न्याय की जीत कह रहे हैं। भारत भी इस मामले में सतर्क रुख अपनाए हुए है। शेख हसीना का राजनीतिक सफर, जो 15 साल की सत्ता के बाद समाप्त हुआ, अब कानूनी जंजीरों में फंस गया लगता है। उनके सामने लौटकर लड़ने या चुपचाप सहने के विकल्प हैं।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 17 November 2025 at 23:55 IST