अपडेटेड 2 September 2025 at 08:53 IST

टैरिफ पर ट्रंप को लाउड एंड क्‍लियर मैसेज, आतंकवाद, पाकिस्तान और... प्वाइंटर्स में समझे SCO का सार, भारत की हुई बड़ी कूटनीतिक जीत

SCO में टैरिफ पर ट्रंप को लाउड एंड क्‍लियर मैसेज, आतंकवाद, पाकिस्तान और रिश्तों में सुधार का मौका... प्वाइंटर्स में समझिए एससीओ समिट का सार। भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई।

SCO का सार। | Image: X-Narendramodi

चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन 2025 का आयोजन सफल रहा। SCO के मंच से पूरी दुनिया को, खास तौर से अमेरिका को बड़ा संदेश पहुंचा है। अमेरिका ने टैरिफ के जरिए अपनी शर्तों के हिसाब से भारत समेत तमाम देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की। ऐसे में एससीओ के मंच से अमेरिका को संदेश गया है कि अब उसके सामने कोई झुकने वाला नहीं है। वहीं आतंकवाद भी SCO में बड़ा मुद्दा रहा। भारत के लिए कूटनीतिक तौर पर यह एक बड़ी जीत साबित हुई है।

SCO समिट में रिश्तों में सुधार का भी एक बड़ा मौका मिला। इसके अलावा अमेरिका के ऊपर उसकी ही चाल तब उल्टी पड़ती नजर आई, जब चीन और भारत अपनी सभी करवाहट को भुलाकर एक नई शुरुआत के लिए साथ आ गए। वहीं पाकिस्तान की बेचारगी भी खुलकर दिखी। आइए प्वाइंटर्स में समझते हैं कि कैसे भारत के लिए SCO समिट एक बड़ी कूटनीत जीत हुई और इस मंच से दुनिया को क्या संदेश पहुंचा।

SCO समिट का सार प्वाइंटर्स में समझे

  • SCO में टैरिफ को लेकर ट्रंप को सीधा संदेश गया है कि अब दुनिया उसके इशारों पर नहीं नाचेगी।
  • SCO के घोषणापत्र में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि किसी भी तरह का बैन या फिर आर्थिक प्रतिबंध का विरोध किया जाएगा।
  • SCO देशों ने डॉलर पर निर्भरता को कम करने के लिए आपसी मुद्रा में ट्रेड को बढ़ाने पर जोर दिया और आपसी सहमती भी दिखाई है। इसके लिए SCO विकास बैंक की स्थापना और इंटरबैंक एसोसिएशन को मजबूती देने पर भी जोर दिया गया।
  • SCO के विस्तार और वैश्विक भूमिका को लेकर सदस्य देशों ने हामी भरी है। इसका मतलब SCO में नए देशों को शामिल करने संगठनों को जोड़ने पर भी चर्चा हुई।
  • SCO की बैठक में गाजा की स्थिति पर सभी देशों ने चिंता जताई है। गाजा में युद्ध विराम और लोगों की मदद के लिए सहायता मुहैया कराने तकी मांग पर भी जोर दिया गया। इसके साथ ही ईरान पर हमले की निंदा की गई।
  • SCO में आतंकवाद एक बड़ा मुद्दा रहा। सभी सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाने पर जोर दिया। सभी सदस्य देशों ने एक आवाज में कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी दोहरे मानक को स्वीकार्य नहीं किया जाएगा।
  • SCO के घोषणापत्र में मानवाधिकार के नाम पर किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप को अस्वीकार किया गया है। परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (NPT) के प्रावधानों का सख्ती से पालन करने, शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग को अंतरराष्ट्रीय अधिकार बताने पर जोर दिया गया। इसके अलावा एकतरफा प्रतिबंधों को अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत बताया।
  • SCO का मंच भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत साबित हुआ। SCO के घोषणा पत्र में पहलगाम हमले की निंदा की गई। इसके साथ ही पाकिस्तान की बेचारगी भी देखने को मिली। भारत को देशों के साथ रिश्ते सुधारने का मौका मिला। वहीं भारत ने ट्रंप को साफ संदेश दिया है कि किसी भी कीमत पर अमेरिका के सामने वह नहीं झुकेगा।
  • SCO में पीएम मोदी, राष्ट्रपति जिनपिंग और राष्ट्रपति पुतिन का साथ आना अमेरिका के लिए अपने आप में एक बड़ा मैसेज दे गया। अमेरिका ने अपनी रणनीति के चक्कर में चीन-भारत-रूस को और भी करीब ला दिया है। अमेरिकी व्यापार क्षेत्र के लिए यह आने वाले समय में बड़ा झटका साबित होगा।

SCO के मंच पर भारत की कूटनीतिक जीत

वहीं SCO के मंच से भारत ने पाकिस्तान को बड़ा मैसेज दिया है। पीएम मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने पूरी दुनिया को पैगाम दिया है कि भारत आतंक के खिलाफ चुपचाप पीड़ित बनकर खड़ा नहीं रहेगा, वह मुंहतोड़ जवाब देगा। SCO के घोषणापत्र में पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा गया कि दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। वहीं यह राष्ट्रपति ट्रंप और भारत के उन विपक्षियों के लिए बड़ा तमाचा है, जो पहलगाम हमले के बाद से मोदी सरकार पर उंगली उठा रहे थे। यह उन विपक्षियों को एक करार जवाब है, जो दूसरे देश के राष्ट्रपति के बयान को सच मानकर अपने देश की ताकत और सेना के शौर्य को कम आंक रहे थे।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 2 September 2025 at 08:53 IST