अपडेटेड 18 January 2024 at 12:18 IST

भाइयों जैसा 'रिश्ता'... फिर दुश्मन कैसे बन गए पाकिस्तान-ईरान? शिया-सुन्नी विवाद से है संबंध!

Pakistan News: ईरान-पाकिस्तान के बीच का विवाद सालों पुराना है। इतिहास में इसकी झलक साफ दिखती है।

ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स | Image: AP/Representative Image

Pakistan News: पाकिस्तान पर ईरान के हमले ने एक बार फिर इतिहास के पन्नों को खोल दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि ईरान और पाकिस्तान के बाद ऐसी कौन-सी नफरत है कि बार-बार ये दोनों एक-दूसरे के सामने आकर खड़े हो जाते हैं। आपको बता दें कि इन दोनों देशों की दुश्मनी सालों पुरानी है, जिसकी शुरुआत उस समय हुई थी जब ईरान शिया मुस्लिम स्टेट बन गया था।

स्टोरी की खास बातें

  • ईरान-पाकिस्तान के बीच धार्मिक लड़ाई
  • पाकिस्तान में सुन्नी मुसलमानों का वर्चस्व
  • आतंकियों को पनाह देने का भी विवाद

शिया और सुन्नी का इतिहास क्या है?

शिया और सुन्नी सदियों से एक साथ शांतिपूर्वक रहते आए हैं। कई देशों में दो संप्रदायों के सदस्यों के लिए आपस में विवाह करना और एक ही मस्जिद में प्रार्थना करना आम बात है। वे कुरान और पैगंबर मोहम्मद की बातों में विश्वास साझा करते हैं और समान प्रार्थनाएं करते हैं, हालांकि वे अनुष्ठानों और इस्लामी कानून की व्याख्या में भिन्न हैं।

आपको बता दें कि शिया की पहचान सातवीं शताब्दी में पैगंबर मोहम्मद के पोते हुसैन की हत्या और सुन्नी बहुमत द्वारा हाशिए पर रखे जाने के एक लंबे इतिहास पर आधारित है। इस्लाम का प्रमुख संप्रदाय, जिसका पालन दुनिया के 1.6 अरब मुसलमानों में से लगभग 85 प्रतिशत लोग करते हैं, शिया इस्लाम को संदेह की दृष्टि से देखते थे और चरमपंथी सुन्नियों ने शियाओं को विधर्मी और धर्मत्यागी के रूप में चित्रित किया है।

ईरान-पाकिस्तान के बीच धार्मिक लड़ाई

ईरान और पाकिस्तान के बीच भी धार्मिक लड़ाई तब शुरू हुई, जब साल 1979 में ईरान शिया मुस्लिम स्टेट बना। कई मौकों पर पाकिस्तान और ईरान ने एक-दूसरे को मुस्लिम भाई कहकर भी संबोधित किया, लेकिन दोनों एक-दूसरे पर आतंकियों को पनाह देने का भी आरोप लगाते रहे।

सऊदी और ईरान की दुश्मनी का भी कारण धार्मिक विभाजन

ईरान और सऊदी की दुश्मनी भी शिया-सुन्नी विवाद के कारण है। ईरान एक शिया बहुल देश है, जबकि सऊदी कट्टर सुन्नी देश है। कई जानकारों का मानना है कि हमास ने इजरायल पर इसलिए हमला किया था ताकि इजरायल और सऊदी के बीच रिश्ते सामान्य न हो सके। इसका कारण ये था कि अगर ईरान के तीनों दुश्मन यानी इजरायल, सऊदी अरब और अमेरिका के बीच करार हो जाता तो ईरान की मुश्किलें बढ़ जाती। आपको बता दें कि हमास अकेला ऐसा आतंकी संगठन है, जो सुन्नी होने के बावजूद ईरान से सहायता लेता रहा है।

सऊदी पाकिस्तान का 'दोस्त'

ईरान को लंबे समय से शक है कि सुन्नी-बहुमत पाकिस्तान सऊदी अरब के साथ मिलकर विद्रोहियों की मेजबानी कर रहा है। इसके अलावा ईरान के दक्षिण-पूर्व बॉर्डर पर सऊदी अरब के इशारे पर ही हलचल भी पैदा की जा रही है। ऐसे में ये भी एक वजह ईरान और पाकिस्तान के रिश्ते के लिए जख्म पर नमक का काम करती है। 

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 17 January 2024 at 10:22 IST