अपडेटेड 12 July 2024 at 17:46 IST
नेपाल में ऐसा क्या हुआ? पुष्प कमल दहल को 19 महीने बाद छोड़नी पड़ेगी प्रधानमंत्री की कुर्सी
Nepal: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल संघीय संसद के निचले सदन में विश्वास मत हार गए।
Nepal: नेपाल के संकटग्रस्त प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' शुक्रवार को संसद में विश्वास मत हार गए, जिससे उन्हें 19 महीने तक सत्ता में रहने के बाद पद छोड़ना पड़ा।
आपको बता दें कि 69 वर्षीय प्रचंड को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (HoR) में 63 वोट मिले, जबकि प्रस्ताव के विरोध में 194 वोट पड़े।
कैसे शुरू हुआ दहल के लिए संकट?
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली CPN-UML द्वारा उनकी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद प्रचंड को विश्वास मत लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। CPN-UML द्वारा समर्थन वापस लेने से प्रचंड के विकल्प सीमित हो गए, जिससे उन्हें तुरंत पद छोड़ने और एक महीने के भीतर विश्वास मत का सामना करने के बीच चयन करना पड़ा।
आपको बता दें कि 25 दिसंबर, 2022 को पद संभालने के बाद से प्रचंड चार विश्वास मत हासिल कर चुके हैं। वहीं, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउवा पहले ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में ओली का समर्थन कर चुके हैं। नेपाली कांग्रेस के पास HoR में 89 सीटें हैं, जबकि CPN-UML के पास 78 सीटें हैं। उनकी संयुक्त संख्या 167 निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 से कहीं अधिक है।
क्या कहता है नेपाल का संविधान?
प्रचंड ने कुर्सी छोड़ने की जगह विश्वास मत का सामना करना उचित समझा। हालांकि, उनका यह दांव उल्टा पड़ गया। वो ओली की पीएम के रूप में वापसी को रोकने के लिए संवैधानिक प्रावधानों का भी उपयोग कर रहे हैं। वह इस बात पर जोर देते रहे हैं कि नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76(3) को, न कि अनुच्छेद 76(2) को, उनके उत्तराधिकारी के चुनाव की प्रक्रिया को नियंत्रित करना चाहिए।
आपको बता दें कि नेपाली संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 76(2) किसी भी पार्टी के नेता की पसंद का प्रावधान करता है जो दो या दो से अधिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त कर सकता है और 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित कर सकता है, जबकि अनुच्छेद 76(3) सबसे बड़ी पार्टी के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने को अनिवार्य बनाता है।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 12 July 2024 at 17:24 IST