अपडेटेड 23 October 2025 at 16:30 IST

उत्तर कोरिया ने साइबर अटैक से उड़ाए अरबों रुपए, न्यूक्लियर प्रोग्राम में लगाया; क्या करेंगे दुनिया को दादागीरी दिखाने वाले डोनाल्ड ट्रंप?

एक बहुराष्ट्रीय जांच रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि उत्तर कोरिया के हैकर्स ने पिछले वर्षों में दर्जनों क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर हमले किए, अरबों डॉलर की डिजिटल संपत्ति लूटी और विदेशी कंपनियों में नकली प्रोफाइल बनाकर नौकरियां हासिल कीं।

उत्तर कोरिया ने साइबर अटैक से उड़ाए अरबों रुपए, न्यूक्लियर प्रोग्राम में लगाया; क्या करेंगे दुनिया को दादागीरी दिखाने वाले डोनाल्ड ट्रंप? | Image: Pixabay/X

उत्तर कोरिया ने साइबर स्पेस को अपनी अर्थव्यवस्था और सैन्य अभियानों का गुप्त इंजन बना लिया है। हाल ही में जारी 138 पेज की एक बहुराष्ट्रीय जांच रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि उत्तर कोरिया के हैकर्स ने पिछले वर्षों में दर्जनों क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर हमले किए, अरबों डॉलर की डिजिटल संपत्ति लूटी और विदेशी कंपनियों में नकली प्रोफाइल बनाकर नौकरियां हासिल कीं। इन पैसों का इस्तेमाल उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में किया गया।

यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र द्वारा गठित मल्टीलेटरल सैंक्शंस मॉनिटरिंग टीम ने तैयार की है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और अन्य प्रमुख सहयोगी देश शामिल हैं। टीम का उद्देश्य यह देखना है कि उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन कर रहा है या नहीं। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया ने क्रिप्टोकरेंसी के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग और सैन्य खरीद को अंजाम दिया। 

उसके हैकर्स ने बैंकिंग सर्वर, वित्तीय संस्थानों, सरकारी डेटाबेस और निजी कंपनियों की प्रणालियों में सेंध लगाकर संवेदनशील जानकारी चुराई और नेटवर्कों को पंगु बनाया। जांचकर्ताओं के मुताबिक, यह साइबर रणनीति किसी आकस्मिक चोरी की बजाय एक केंद्रीकृत सरकारी अभियान थी, जिसे प्योंगयांग से नियंत्रित किया गया।

डिजिटल हथियार के रूप में इंटरनेट का इस्तेमाल

डिजिटल हथियार के रूप में इंटरनेट का इस्तेमाल करने की यह नीति उत्तर कोरिया को एक तकनीकी महाशक्ति के समान खड़ा करती है। सीमित संसाधनों और भौगोलिक अलगाव के बावजूद उसकी साइबर टीमें अब चीन और रूस जैसी बड़ी शक्तियों की बराबरी करती दिख रही हैं। लेकिन, जहां अन्य देश अपने राष्ट्रीय हितों या जासूसी उद्देश्यों के लिए साइबर हमले करते हैं, वहीं उत्तर कोरिया इसे राजस्व स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करता है।

हाल के महीनों में इससे जुड़ी कई घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। एफबीआई के अनुसार, इसी साल उत्तर कोरिया से जुड़े हैकर्स ने क्रिप्टो एक्सचेंज बायबिट से लगभग 1.5 अरब डॉलर की Ethereum चुराई – जो इतिहास की सबसे बड़ी डिजिटल चोरी में से एक मानी जा रही है। इसके अलावा, अमेरिकी जांच में यह भी सामने आया कि हजारों आईटी कर्मी, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए रिमोट काम कर रहे थे, असल में उत्तर कोरियाई एजेंट थे। ये कर्मचारी नकली पहचान बनाकर अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा सीधे अपने देश की सरकार को भेजते थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और चीन के अप्रत्यक्ष सहयोग से उत्तर कोरिया की यह साइबर रणनीति और अधिक परिष्कृत और आक्रामक होती जा रही है। इन अभियानों ने न केवल अरबों डॉलर की संपत्ति नष्ट की, बल्कि वैश्विक वित्तीय तंत्र की सुरक्षा को भी कमजोर किया है। संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के मिशन से इस रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पश्चिमी खुफिया एजेंसियां अब इस “डिजिटल हथियारबंद अर्थव्यवस्था” को रोकने के लिए वैश्विक साइबर निगरानी और प्रतिबंध तंत्र को और कड़ा करने की तैयारी कर रही हैं।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 23 October 2025 at 16:30 IST