अपडेटेड 29 May 2025 at 14:42 IST
Mulching Paper : घर पर करते हैं ऑर्गेनिक खेती, तो 1 किलो वाला प्याज भी उगा सकते हैं; नितिन गडकरी की पत्नी ने किया अनूठा प्रयोग
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी कि नागपुर के धापेवाड़ा स्थित भक्ति फार्म में उनकी पत्नी कांचन ने एक अनूठा प्रयोग करते हुए मल्चिंग पेपर तकनीक का इस्तेमाल कर एक किलो तक वजन वाले ऑर्गेनिक प्याज का सफल उत्पादन किया है।
Mulching Paper Technology: आज के समय में जब खेती में तकनीक और पर्यावरणीय सोच का मेल हो रहा है, मल्चिंग पेपर खेती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है। इसी का इस्तेमाल करके केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पत्नी ने एक अनूठा प्रयोग किया है। केंद्रीय मंत्री की पत्नी कांचन ने एक किलो तक वजन वाले ऑर्गेनिक प्याज उगाई है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी कि नागपुर के धापेवाड़ा स्थित भक्ति फार्म में उनकी पत्नी कांचन ने एक अनूठा प्रयोग करते हुए मल्चिंग पेपर तकनीक का इस्तेमाल कर एक किलो तक वजन वाले ऑर्गेनिक प्याज का सफल उत्पादन किया है। नितिन गडकरी ने 'X' पर एक वीडियो भी शेयर किया है।
12-13 टन प्याज प्रति एकड़ हुआ उत्पादन
बताया गया कि नीदरलैंड से प्याज का बीज लाया गया था। लगभग ढाई किलो बीज एक एकड़ खेत में लगाया गया। पहले 45 दिन में नर्सरी तैयारी हुई और उसे मेंटेन किया गया। पौधों की वेल-बेड्स पर ट्रांसप्लांटिंग की गई। डबल ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया, जिनमें पहले से बायो ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर और बेसल डोज को बैग्स में भरकर सेट किया गया था। उसके बाद मल्चिंग पेपर तकनीक का इस्तेमाल किया गया। जब फसल आई तो हर प्याज का औसत वजन 400 ग्राम से 800 ग्राम तक रहा। कुल उत्पादन 12-13 टन प्याज प्रति एकड़ हुआ।
क्या है मल्चिंग पेपर तकनीक?
मल्चिंग पेपर तकनीक एक आधुनिक कृषि विधि है जिसमें फसल की जड़ों के आसपास की मिट्टी को ढकने के लिए एक पतली परत बिछाई जाती है। ये परत आमतौर पर बायोडिग्रेडेबल पेपर, प्लास्टिक या ऑर्गेनिक मटेरियल से बनी होती है।
मल्चिंग पेपर कैसे काम करता है?
इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की नमी को बनाए रखना, खरपतवार को रोकना और फसल की गुणवत्ता को बढ़ाना है। मल्चिंग पेपर खरपतवार को दबाने के लिए एक प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल माना जा रहा है। इसका इस्तेमाल इसलिए भी हो रहा है कि ये नमी को बनाए रखता है। एक तरीके से सूरज की रोशनी को मिट्टी की सतह तक पहुंचने से रोककर ये रासायनिक शाकनाशियों के उपयोग के बिना खरपतवार की वृद्धि को प्रभावी ढंग से रोकता है। उसके अलावा मल्चिंग पेपर नमी बनाए रखने में मदद करता है, जिससे सिंचाई की जरूरत कम होती है।
कैसे किया जाता है मल्चिंग पेपर का इस्तेमाल?
इसके लिए सबसे पहले जमीन को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। खेत की जुताई के बाद उसे समतल करके मिट्टी से पत्थर, जड़ें और खरपतवार जैसी चीजों को हटा देना चाहिए। फिर इसके लिए बेड की चौड़ाई 1 मीटर और ऊंचाई लगभग 6-8 इंच रखनी होती है और बेड के दोनों ओर नाली (drainage) छोड़नी होती है, ताकि पानी आसानी से बह सके। उसके बाद मल्चिंग रोल को बेड पर सावधानी से फैलाया जाता है। दोनों सिरों को मिट्टी या पिन से मजबूती से दबाया जाता है, ताकि हवा से उड़े नहीं। फिर पौधारोपण का काम शुरू किया जाता है। ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करके पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है।
किन फसलों में होता है ज्यादा फायदा?
मल्चिंग पेपर तकनीक का इस्तेमाल मुख्य तौर पर सब्जियों को उगाने में किया जाता है। इन सब्जियों में टमाटर, मिर्च, बैंगन, गोभी, फूलगोभी शामिल हैं। उसके अलावा स्ट्रॉबेरी, तरबूज, खरबूजा, औषधीय पौधे और फूलों के लिए भी मल्चिंग पेपर तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 29 May 2025 at 14:40 IST