अपडेटेड 19 March 2025 at 10:06 IST
286 दिन, 900 घंटे की रिसर्च और 150 एक्सपेरिमेंट्स; सुनीता विलियम्स ने 9 महीने तक स्पेस में क्या किया?
स्पेस में सुनीता विलियम्स ने 150 से अधिक यूनिक साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट और टेक्नोलॉजी डेमोंसट्रेशन पर काम किया, जिसमें 900 घंटे से अधिक तक रिसर्च पूरे किए।
Sunita Williams Return: सुनीता विलियम्स की तकरीबन 286 दिन बाद स्पेस से धरती पर वापसी हुई है। नासा की वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स के साथ निक हेग, बुच विल्मोर और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोरबुनोव स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए धरती पर उतरे। 5 जून 2024 को सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 8 दिन के मिशन पर गए थे, लेकिन स्पेस में एक बड़बड़ी से उनका ये मिशन 9 महीने से अधिक समय में तब्दील हो गया।
सुनीता विलियम्स, निक हेग, बुच विल्मोर और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोरबुनोव ने स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के सफल स्पलैशडाउन के बाद बुधवार को नौ महीने से अधिक समय में पहली बार धरती की हवा में सांस ली। अंतरिक्ष यात्री हमेशा की तरह स्ट्रेचर पर कैप्सूल से उतरे। स्पेसएक्स की ओर से ये एहतियात लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशन से लौटने वाले सभी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बरती जाती है। यहां जानने की कोशिश करते हैं कि 8 दिन के मिशन पर निकलीं सुनीता विलियम्स ने स्पेस सेंटर में 9 महीने की अवधि के दौरान क्या कुछ किया?
सुनीता विलियम्स ने स्पेस में किया बड़ा कारनामा
धरती पर लौटने से पहले सुनीता विलियम्स ने 150 से अधिक यूनिक साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट और टेक्नोलॉजी डेमोंसट्रेशन पर काम किया, जिसमें 900 घंटे से अधिक तक रिसर्च पूरे किए। इतना ही नहीं, ISS में नेविगेट करने में खुद को ढालने और फिट रहने के लिए विलियम्स ने अंतरिक्ष स्टेशन पर वेट ट्रेनिंग भी ली, क्योंकि उनके आईएसएस में रहने के दौरान उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं थीं। सुनीता विलियम्स ने अपने सभी मिशनों के दौरान 62 घंटे और 9 मिनट का स्पेसवॉक किया, जिससे एक महिला अंतरिक्ष यात्री के कुल स्पेसवॉक समय का रिकॉर्ड भी टूटा।
सुनीता विलियम्स के प्रयोग क्या-क्या थे?
सुनीता विलियम्स ने पैक्ड बेड रिएक्टर एक्सपेरीमेंट: वाटर रिकवरी सीरीज (पीबीआरई-डब्ल्यूआरएस) जांच के लिए हार्डवेयर इंस्टॉल किए। नासा के मुताबिक, इससे जांच की जा सकती है कि इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर इन सिस्टम्स को गुरुत्वाकर्षण कैसे प्रभावित करता है। इसके नतीजों से वैज्ञानिकों को वाटर रिकवरी, थर्मल मैनेजमेंट, फ्यूल सेल्स और अन्य अनुप्रयोगों के लिए बेहतर रिएक्टर डिजाइन करने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा विलियम्स ने रोडियम बायोमैनुफैक्चरिंग 03 के लिए बैक्टीरिया और यीस्ट के नमूनों के साथ फोटो खिंचवाई, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बायोमैनुफैक्चरिंग इंजीनियर बैक्टीरिया और यीस्ट पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों की चल रही जांच का हिस्सा है। नासा के मुताबिक, माइक्रोग्रैविटी माइक्रोबियल सेल ग्रोथ, सेल संरचना और मेटाबोलिक गतिविधि में परिवर्तन का कारण बनती है जो बायोमैनुफैक्चरिंग प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है। ये जांच इन प्रभावों की सीमा को स्पष्ट कर सकती है और अंतरिक्ष में खाना, दवाइयों और अन्य उत्पादों को बनाने के लिए सूक्ष्मजीवों के उपयोग को आगे बढ़ा सकती है, जिससे पृथ्वी से उपकरण और उपभोग्य सामग्रियों को लॉन्च करने की लागत कम हो सकती है।
नासा के मुताबिक, यूरो मटेरियल एजिंग, ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) की एक जांच है, जो इस बात का अध्ययन करती है कि कठोर अंतरिक्ष वातावरण के संपर्क में आने पर कुछ सामग्री कैसे पुरानी हो जाती है। निष्कर्षों से अंतरिक्ष यान और उपग्रहों के लिए डिजाइन में प्रगति हो सकती है, जिसमें बेहतर थर्मल नियंत्रण, साथ ही अनुसंधान और औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए सेंसर का डेवलपमेंट शामिल है। सुनीता विलियम्स ने स्पेस सेंटर के बाहर ट्रांसपोर्ट के लिए नैनोरैक्स बिशप एयरलॉक में एक्सपेरिमेंट इंस्टॉल किए।
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 19 March 2025 at 10:06 IST