अपडेटेड 27 August 2023 at 18:03 IST
चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी के पीछे 'महिला शक्ति' का हाथ! इन महिलाओं ने दिन-रात मेहनत करके बढ़ाया देश का मान
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चांद पर लैंड करके अपनी पहली परीक्षण रिपोर्ट भी जारी कर दी है। आइए इस मिशन में शामिल महिलाओं के बारे में जानते हैं।
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को सफलतापूर्वक चांद पर लैंड किया और अब इसरो ने पहले वैज्ञानिक परीक्षण की रिपोर्ट भी जारी कर दी है। इस मिशन की शुरुआत से लेकर चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड करने तक के सभी पहलूओं और चुनौतियों को हमने ध्यान से सुना और पढ़ा है। इसी कड़ी में आज हम बात करने जा रहे हैं उन महिला वैज्ञानिकों की, जिनकी मेहनत और दृढ़ निश्चय के कारण ये मिशन कामयाब हो पाया है।
स्टोरी की खास बातें
- पर्दे के पीछे रहकर मिशन को बनाया कामयाब
- चंद्रयान 3 के तीन में से दो टास्क पूरे
- इसरो ने ग्राफ शेयर करके दी वैज्ञानिक परीक्षण की जानकारी
पर्दे के पीछे रहकर मिशन को बनाया कामयाब
मिशन चंद्रयान-3 को कामयाब बनाने में भी महिला शक्ति का अहम रोल माना जा रहा है। हम चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर तो बात कर रहे हैं, लेकिन उन महिलाओं के बारे में अभी तक काफी कम लोगों को ही पता है, जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर इस मिशन को सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
आपको बता दें कि इससे पहले इसरो ने एक ट्वीट करके बताया था कि चंद्रयान मिशन के तीन मकसद में से दो को पूरा किया जा चुका है।वहीं, रविवार (27 अगस्त) को इसरो ने एक्स (ट्विटर) पर एक ग्राफ भी शेयर किया है, जिसमें लैंडर विक्रम द्वारा प्राप्त चांद की सतह के तापमान की जानकारी साझा की गई है।
ये हैं वो महिला वैज्ञानिकः
नंदिनी हरिनाथ
नंदिनी हरिनाथ 20 सालों से इसरो में कार्यरत हैं और अभी तक वो 14 मिशन में अपना योगदान दे चुकी हैं। इस वक्त वो प्रोजेक्ट मैनेजर और मिशन डिजाइनर के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निभा रही हैं। उन्होंने मंगल मिशन के दौरान डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर की जिम्मेदारियां निभाई थी।
डॉ. रितु कारीधाल श्रीवास्तव
डॉ. रितु कारीधाल श्रीवास्तव इसरो में एक वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर के पद पर काम करती हैं। उन्होंने भी मंगलयान मिशन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इस मिशन के दौरान उन्होंने भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन के लिए डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर की जिम्मेदारियां निभाईं थी। इसके साथ ही वो चंद्रयान-2 मिशन में भी शामिल थी। उन्हें इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।
मिनल रोहित
मंगलयान मिशन में अहम रोल निभाने वाली मिनल रोहित इसरो की प्रमुख महिला वैज्ञानिकों में से एक हैं। मार्स ऑर्बिटर मिशन के लॉन्च के दौरान उन्होंने सिस्टम इंटीग्रेशन इंजीनियर के रूप में काम किया था। इसके अलावा वो हेड इंजीनियर और प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने चंद्रयान-2 मिशन के दौरान भी अपना अहम योगदान दिया था। इस वक्त वो इसरो में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं।
अनुराधा टी.के.
अनुराधा टी.के इसरो की रिटार्यड प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। उन्होंने GSAT-10 और GSAT-12 जैसे सैटेलाइट्स के लॉन्च में अहम भूमिका निभाई थी। बताया जाता है कि वो इसरो में सैटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में कार्य करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं।
मौमिता दत्ता
मौमिता दत्ता एक भारतीय भौतिकशास्त्री हैं, जो इसरो में एक वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में काम कर रही हैं। इस वक्त उनका पूरा ध्यान इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर्स पर है। इसके अलावा वो ऑप्टिकल उपकरणों के स्वदेशी विकास में लगी एक समर्पित टीम का नेतृत्व भी करती हैं।
वी. आर ललिताम्बिका
वी. आर ललिताम्बिका इसरो में एक वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं। इससे पहले वो तिरुवनंतपुरम में स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में उप निदेशक (कंट्रोल, गाइडेंस और सिमुलेशन) के पद पर भी काम कर चुकी हैं।
टेसी थॉमस
टेसी थॉमस इसरो में डायरेक्टर जनरल ऑफ एयरोनॉटिकल्स सिस्टम के पद पर कार्यरत हैं। वो डीआरडीओ में अग्नि-4 के लिए प्रोजक्ट मैनेजर के रूप में भी काम कर चुकी हैं। साल 2022 में उन्हें लोकमान्य तिलक अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है।
मुथैया वनिता
मुथैया वनिता चंद्रयान-2 मिशन में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर तैनात थी। इसके अलावा करीब 30 सालों के करियर में वो इसरो के कई ऑपरेशन को कामयाब बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भमिका निभा चुकी हैं। इसमें मंगल मिशन में भी शामिल है।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 27 August 2023 at 18:03 IST