अपडेटेड 15 July 2025 at 06:47 IST
28000Km की रफ्तार, 3500 डिग्री फारेनहाइट तापमान और 4 गुना ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल, 22 घंटे का सफर पूरा कर ऐसे होगी शुभांशु की वापसी
अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला ने 288 बार पृथ्वी की परिक्रमा की है, वो 18 दिन बाद करीब 22 घंटे का सफर पूरा कर आज धरती पर आएंगे। वे भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने ISS पर कदम रखा और कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए।
Shubhanshu Shukla Return : अंतरिक्ष में भारत का कद बढ़ाने वाले और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (International Space Station) में 18 दिन रहने वाले भारत के लाल शुभांशु शुक्ला की आज धरती पर वापसी हो रही है। शुभांशु शुक्ला समेत 4 अंतरिक्ष यात्री आज दोपहर करीब 3 बजे प्रशांत महासागर में लैंडिंग करेंगे। अमेरिकी कंपनी एक्सियम स्पेस के AX-4 मिशन के तहत 25 जून को उन्होंने अमेरिका के फ्लोरिडा से उड़ान भरी थी और 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे। अब ये ऐतिहासिक मिशन पूरा हो चुका है।
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जिस यान से वापस लौटेंगे, उसमें 263 kg स्पेस स्टेशन का कचरा भी आएगा। अंतरिक्ष में शुभांशु ने 288 बार पृथ्वी की परिक्रमा की है, वो करीब 22 घंटे का सफर पूरा कर आज धरती पर आएंगे। वे भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने ISS पर कदम रखा और कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। यह मिशन भारत के लिए कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत साथ गए तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कुछ ही घंटों बाद पृथ्वी पर अपने कदम रखेंगे, लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा।
कैलिफोर्निया तट के पास स्प्लैशडाउन
शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार हैं। 14 जुलाई, शाम 4:30 बजे ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉकिंग हुई। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट 22.5 घंटे की यात्रा के बाद यानी मंगलवार दोपहर 3:01 बजे (IST) पर कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन करेगा। ये पूरी प्रक्रिया स्वचालित होगी और उसमें किसी मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन अंतरिक्ष से धरती तक का ये सफर मुश्किल भरा रहेगा। यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यान को कई पड़ावों से गुजरना होता है।
धरती पर वापसी में क्या चुनौती?
जब कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष का चक्कर काटकर वापस धरती पर लौटता है, तो उसकी लैंडिंग बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। जब कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से धरती पर आता है, तो रफ्तार करीब 28000 किमी प्रति घंटे होती है। वायुमंडल से रगड़ खाकर स्पेसक्राफ्ट आग का गोला बन जाता और तापमान 3,500 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। अंदर बैठे अंतरिक्ष यात्रियों पर धरती के गुरुत्वाकर्षण बल से 4 गुना ज्यादा फोर्स लगता है। यह सब प्रक्रिया सफलतापूर्वक करने के लिए जरूरत होती है दुनिया की सबसे एडवांस तकनीक की और इसमें सबसे अहम रोल निभाता है ड्रैगन।
दो स्टेज में निकलेगा पैराशूट
पृथ्वी पर पहुंचते ही कैप्सूल से पैराशूट दो स्टेज में निकलेगा। पहले स्टेज का पैराशूट धरती से करीब 5 से 7 किलोमीटर की ऊंचाई पर और दूसरे स्टेज का पैराशूट 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर खुलेगा। इसके बाद सभी अंतरिक्षयात्रियों की कैलिफोर्निया की तट पर सुरक्षित लैंडिंग हो सकेगी। लैंडिंग के बाद मेडिकल और तकनीकी टीम यात्रियों को यान से निकालेगी
फिलहाल पूरा देश शुभांशु की वापसी का इंतजार कर रहा है। पृथ्वी पर लौटने के बाद, शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम को मेडिकल चेकअप और पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना होगा। अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कारण शरीर पर माइक्रोग्रैविटी का असर पड़ता है। जिससे उबरने के लिए कुछ दिन का समय लगता है। इसके बाद, वे अपने अनुभव और वैज्ञानिक डेटा को साझा करेंगे, जो भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए भी बेहद उपयोगी होगा।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 15 July 2025 at 06:47 IST