अपडेटेड 11 November 2024 at 23:21 IST

Dev Uthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी पर क्यों बजाते हैं थाली? यहां जानें इसकी वजह और महत्व

Devuthani Ekadashi के दिन पूजा-पाठ और व्रत के साथ-साथ थाली बजाने की भी परंपरा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन ऐसा क्यों किया जाता है?

देवउठनी एकादशी पर क्यों बजाते हैं थाली? | Image: AI

Dev Uthani Ekadashi Par Thali Kyo Bajate Hai: हर महीने में आनी वाली एकादशियों में सबसे बड़ी एकादशी मानी जाने वाली देवउठनी एकादशी का महत्व कई गुना ज्यादा माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा से जागते हैं। ऐसे में इस खास दिन पर जगत के पालन हार श्री हरि विष्णु की पूजा के साथ-साथ थाली या सूप बजाने का भी विधान है। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस ऐसा क्यों किया जाता है? अगर आप भी नहीं जानते, तो चलिए आपको इस आर्टिकल के जरिए इसके पीछे की वजह और महत्व के बारे में बताते हैं।

हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना के साथ व्रत भी रखा जाता है और शाम को तुलसी जी के साथ इनका विवाह भी कराया जाता है। साथ ही सूप या थाली बजाने की भी परंपरा है। ऐसे में आज हम इसके पीछे की वजह और महत्व के बारे में जानेंगे।

देवउठनी एकादशी पर क्यों बजाई जाती है थाली?

हम सभी लोग बचपन से ही देखते आ रहे हैं, कि दादी-नानी देवउठनी एकादशी के दिन थाली और सूप बजाती हैं, लेकिन इसके महत्व के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि थाली और सूप बजाकर देवों को उठाया जाता है और उन्हें अपने घर पर आने का आमंत्रण दिया जाता है।

शास्त्रों के मुताबिक देवशयनी एकादशी के बाद से भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवता अपने धाम छोड़ पाताल में निवास करते हैं और चार महीनों तक वहीं रहते हैं। इसके बाद देवउठनी एकादशी को विष्णु जी के साथ सभी देवता जागते हैं और अपने-अपने धाम लौटते हैं, जिसके साथ ही एक बार फिर से मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।

वहीं देव उठनी एकादशी के दिन 'उठो देव बैठो देव, अंगुरिया चटकाओ देव' बोलना चाहिए। ऐसा बोलकर हम अपने घर में देवी-देवताओं को आने का आमंत्रण देते हैं। साथ ही देव उठनी एकादशी के दिन थाली बजाने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 11 November 2024 at 23:21 IST