अपडेटेड 20 October 2025 at 19:26 IST
'हमलोगों ने आंसूओं से अपनी दिवाली मनाई', प्रेमानंद महाराज को त्योहार पर रहना पड़ता था भूखा; बोले- हम कहते थे ये आंसू ही आपकी दीपावली है
Premanand Maharaj: संत प्रेमानंद जी महाराज ने आगे कहा - शाम टाइम सभी की दिवाली चल रही है और हम अंधेरे में बैठे हुए हैं। ना एक पैसा है, ना एक व्यक्ति है न खाने को है। आंसूओं से दीपावली होती थी। अपने प्रभु को श्री जी को गोद में लेकर। हम कहते थे कि हमारी आंसू ही आपकी दीपावली है।
Premanand Maharaj: आज पूरा देश दिवाली पर्व को धूमधाम से मना रहा है। भारत वर्ष में इस त्योहार को सदियों से मनाते आया जा रहा है। इस खास मौके पर लोग अपने घरों-दुकानों और प्रतिष्ठानों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं। दीये जलाते हैं और आतिशबाजी करते हैं। इस खास मौके पर लोगों के घरों में मीठे-मीठे पकवान भी बनते हैं।
इस बीच वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज (श्री हित प्रेमानंद गोविन्द शरण जी महाराज) ने अपने उन दिनों को याद किया है, जब दिवाली पर उन्हें खाने के लिए एक रोटी तक नसीब नहीं होती थी। उन्हें इस उत्साह के पर्व पर भूखे रहकर जीवन जीना पड़ता था। इतना ही नहीं, उन्हें खुशी के इस त्योहार पर आंसूओं को बहाकर अपनी दिवाली मनानी पड़ती थी। आइए स्वयं प्रेमानंद जी महाराज के मुख से ही सुनते हैं जब उन्हें दीपावली पर भी भूखा रहना पड़ा...
हमारी दीपावली जानते हो कैसे होती थी... भूखी - प्रेमानंद जी महाराज
पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज की आधिकारिक प्रोफाइल वाले एक्स हैंडल (Bhajan Marg) से आज संत प्रेमानंद जी महाराज का एक वीडियो शेयर किया गया है। इसमें महाराज जी दिवाली पर अपने संघर्ष के दिनों को याद कर रहे हैं, यह सुनकर आप भावुक भी हो सकते हैं। क्योंकि एक समय ऐसा था जब इन्हें कोई नहीं जानता था और लोग घर के सामने से बिना कुछ दिए जाने देते थे और आज ऐसा है कि विराट कोहली से लेकर कई बड़े लोग महाराज जी से मिलने और उनका आशीर्वाद लेने इनके पास आते हैं। भक्तों की तो कतारें लगती हैं। खैर आइए अब वीडियो में जानते हैं कि महाराज जी ने क्या कहा है।
संत प्रेमानंद जी महाराज अपने पुराने दिनों को याद कर कहते हैं, "दीपावली का यह उत्सव देख रहे हो... हमारी दीपावली जानते हो कैसे होती थी... भूखी। रोटी मांगने आज जाते थे तो मना हो जाता था।" उन्होंने बताया कि कहा जाता था कि दीपावली है आज रोटी नहीं मिलेगी। आज बनी ही नहीं है, त्योहार है। संत प्रेमानंद जी ने बताया कि दिन में एक टाइम रोटी मांगने जाना होता था।
आंसूओं से दीपावली होती थी - संत प्रेमानंद जी महाराज
संत प्रेमानंद जी महाराज ने आगे कहा - शाम टाइम सभी की दिवाली चल रही है और हम अंधेरे में बैठे हुए हैं। ना एक पैसा है, ना एक व्यक्ति है न खाने को है। आंसूओं से दीपावली होती थी। अपने प्रभु को श्री जी को गोद में लेकर। हम कहते थे कि हमारी आंसू ही आपकी दीपावली है।
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि बिना प्रयास के वो दीपक, वो बाती, वो आरती, वो दीपावली होती थी जो आचार्य चरण कहते हैं - "भक्ति करि दीप, प्रेम कर बाती, साधु संगति करि अनुदिन राती।"
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 20 October 2025 at 19:23 IST