अपडेटेड 16 April 2025 at 09:48 IST

Vikat Sankashti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी पर जरूर करें इस स्तोत्र और इन मंत्रों का जप, तभी मिलेगा गणपति बप्पा का आशीर्वाद

Vikat Sankashti Chaturthi Stotra: विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन आपको इस स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

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संकटनाशन गणेश स्तोत्र | Image: Pexels

Vikat Sankashti Chaturthi Stotra: आज यानी बुधवार, 16 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikat Sankashti Chaturthi) मनाई जा रही है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत किए जाने का विधान होता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन पूरे श्रद्धाभाव के साथ गणेश जी की पूजा करता है उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है।

ऐसे में अगर आप भी चाहते हैं कि भगवान गणेश (Lord Ganesh) की कृपा सदैव आप और आपके परिवार पर बनी रहे तो आज विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन आपको उनके संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Sankatnashan Ganesh Stotra) और कुछ मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से आपके कामों में आ रही बाधाएं दूर हो जाएंगी और आपको हर काम में सफलता हासिल होगी। तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं इस स्तोत्र और मंत्रों के बारे में।

संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Sankatnashan Ganesh Stotra)

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ।।

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ।।

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ।।

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ।।

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।
इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ।।

गणेश जी के अन्य मंत्र (Ganeshji ke Mantra)

  • ॐ गं गणपतये नमः॥
  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये
    वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
  • श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
    निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
  • ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
    वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
  • ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
    तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 16 April 2025 at 09:48 IST