अपडेटेड 24 April 2025 at 08:51 IST
Varuthini Ekadashi 2025: वरूथिनी एकादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय
Varuthini Ekadashi 2025 Muhurat: आइए जानते हैं कि वरूथिनी एकादशी का व्रत किस तारीख को रखा जाएगा।
Varuthini Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बेहद खास महत्व होता है। साल में 24 और महीने में दो एकादशी तिथि पड़ती हैं जिनके नाम अलग-अलग होते हैं। हालांकि सभी एकादशी तिथि पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना किए जाने का विधान है। वहीं, आज यानी गुरुवार, 24 अप्रैल को वरूथिनी एकादशी मनाई जा रही है।
कहते हैं जो व्यक्ति एकादशी तिथि के दिन व्रत कर विष्णुजी की श्रद्धाभाव से पूजा करता है उसके सभी दुखों का नाश हो जाता है। ऐसे में अगर आप भी आज विष्णु जी की पूजा करने जा रहे हैं तो आपको पूजा का शुभ मुहूर्त नोट कर लेना चाहिए।
वरूथिनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट से शुरू हो चुकी है जो कि अगले दिन यानी 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक वरूथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को किया जा रहा है।
वरूथिनी एकादशी 2025 मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक।
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक।
- शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक।
वरूथिनी एकादशी 2025 पारण समय (Varuthini Ekadashi 2025 Paran time)
- वरूथिनी एकादशी का व्रत का पारण द्वादशी तिथि यानी 25 अप्रैल को किया जाएगा। इस दिन व्रत पारण का समय सुबह 05 बजकर 46 मिनट से सुबह 08 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस बीच आप एकादशी व्रत का पारण कर सकते हैं।
- वरूथिनी एकादशी की पूजा विधि (Varuthini Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
- वरूथिनी एकादशी की पूजा की तैयारी एक दिन पहले शुरू हो जाती है।
- व्रत से एक दिन पहले पूजा के स्थान को गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध किया जाता है।
- इसके बाद उस जगह पर सप्त अनाज रखा जाता है। अब किसी भी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
- अब पूजा स्थल पर सप्त अनाज के ऊपर तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर लगाएं।
- अब भगवान विष्णु को धूप, दीप, चंदन, फल-फूल और तुलसी आदि अर्पित करें।
- पूजा के बाद वरूथिनी एकादशी की कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु को किसी मिष्ठान का भोग लगाएं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 24 April 2025 at 08:51 IST