अपडेटेड 20 April 2025 at 12:19 IST

Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी पर करें इस खास स्तोत्र का पाठ, दूर होगी दरिद्रता

Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी के मौके पर आपको तुलसी माता के इस स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

Follow :  
×

Share


वरुथिनी एकादशी | Image: Shutterstock

Tulsi Stotra: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बेहद खास महत्व होता है। एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। अप्रैल महीने की 24 तारीख को वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत किया जाएगा। कहते हैं इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन की सभी चिंताएं दूर होती है और उसकी झोली खुशियों से भर जाती है।

ऐसे में वरूथिनी एकादशी के दिन भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा करते समय आपको तुलसी जी की भी पूजा करनी चाहिए। तुलसी पूजन करते समय आप यहां दिए गए स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इससे आपके सभी कष्टों का नाश होगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं इस स्तोत्र के बारे में।

तुलसी माता स्तोत्रम् (Tulsi Stotram)

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे।
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः॥१॥

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके॥२॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा।
कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम्॥३॥

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम्।
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात्॥४॥

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम्।
या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः॥५॥

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ।
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे॥६॥

तुलस्याः नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले।
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः॥७॥

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ।
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके॥८॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः।
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन्॥९॥

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे।
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके॥१०॥

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता।
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः॥११॥

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया॥१२॥

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः॥१३॥

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया॥१४॥

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनः प्रिये॥१५॥

॥ इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

तुलसी जी के मंत्र (Tulsi Mantras)

तुलसी नमस्कार मंत्र

महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी।
आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसी त्वं नमोऽस्तुते।

तुलसी माता ध्यान मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया॥
लभते सुतरां भक्तिं, अन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया॥

तुलसी नामाष्टक मंत्र

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्णजीवनी॥
एतद् तुलस्यष्टकं स्तोत्रं नामार्थं संयुतम्।
यः पठेत् तां च सम्पूज्य सौश्रमेघं फलं लभेत्॥

ये भी पढ़ें: Masik Krishna Janmashtami 2025: मासिक कृष्ण जन्माष्टमी आज, नोट करें मुहूर्त और खास पूजा विधि

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 20 April 2025 at 12:19 IST