अपडेटेड 17 October 2024 at 08:59 IST

Valmiki Jayanti: वाल्मिकी जी ने रामायण किसने कहने पर लिखी? पढ़ें एक डाकू की कहानी...

Valmiki Jayanti 2024: वाल्मीकि को रामायण लिखने के लिए किसने प्रेरित किया? वाल्मिकी जी एक डाकू से कैसे रचियता बन गए? जानें...

Valmiki Jayanti 2024 | Image: social media

Valmiki Jayanti 2024: हर साल आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह दिन वाल्मिकी जी को समर्पित है। रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। इसी कारण उनकी जयंती इस दिन मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वाल्मीकि जी को रामायण लिखने की प्रेरणा कहां से मिली थी और एक डाकू से महर्षि बनने का सफर क्या था? 

अगर नहीं, तो आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि वाल्मीकि जी ने रामायण क्यों लिखी और उनके जीवन से जुड़ी कहानी क्या है। पढ़ते हैं आगे…

वाल्मीकि को रामायण लिखने के लिए किसने प्रेरित किया?

मान्यता है कि महर्षि वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा ब्रह्मा जी और नारद मुनि द्वारा दी गई थी। कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने ही नारद मुनि को वाल्मीकि के पास भेजा था और उन्होंने वाल्मीकि जी को रामायण सुनाई थी। वाल्मीकि जी एक शिकारी को श्राप देने के बाद बेहद ही परेशान थे। ऐसे में ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बताया कि आपको परेशान होने की जरूरत नहीं, यह सब मां सरस्वती के आदेश से हो रहा है। ऐसे में आप राम जी के चरित्र पर रामायण लिखें। वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण में 24000 श्लोक लिखे गए हैं। 

एक डाकू की कहानी…

पौराणिक कथाओं के अनुसार, वाल्मीकि जी को एक भिलनी ने चुरा लिया और उनका पालन-पोषण किया। उसके बाद वे डाकू बन गए। उस वक्त उनका नाम रत्नाकर पड़ा। वह लूटपाट करता था। एक दिन नारद मुनि जंगल से जा रहे थे। तभी रत्नाकर ने उन्हें बंदी बना लिया। तब नारद जी ने सवाल किया कि जो तुम पाप कर रहे हो, यह सब क्यों करते हो। तो रत्नाकर ने कहा कि मैं अपने परिवार के लालन पालन के लिए करता हूं। तब नारद जी ने पूछा कि क्या तुम्हारा परिवार भी इन पापों का भागीदार है। रत्नाकर जी बोले- हां, वह मेरे साथ खड़ा रहेगा। तब नारद जी बोले, एक बार तुम अपने परिवार से जाकर पूछो। तो रत्नाकर के पूछने पर परिवार वालों ने मना कर दिया। तब रत्नाकर ने उनका साथ छोड़ दिया। 

उसके बाद रत्नाकर ने नारद जी से पूछा कि अब वह क्या करें? तब नारद जी बोले कि तुम राम नाम का जाप करो। लेकिन रत्नाकर राम नहीं बोल पा रहे थे। उनके मुंह से मरा मरा निकल रहा था। हालांकि धीरे-धीरे मरा-मरा राम में बदल गया। इसके बाद रत्नाकर ने कठोर तपस्या की। उस दौरान उनके शरीर पर चीटियों ने बाम्भी बना दिया। ऐसे में उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। उनके तप से ब्रह्मा जी उनसे प्रसन्न हुए और उन्हें ज्ञान का वर दिया।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 17 October 2024 at 08:56 IST