अपडेटेड 13 August 2025 at 12:17 IST
Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्म की अनोखी परंपरा, आखिर रात 12 बजे क्यों काटते हैं खीरा? जानकर रह जाएंगे दंग...
Krishna Janmashtami 2025: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन आधी रात को खीरा काटने का विशेष विधान है। अब ऐसे में इस दिन खीरा क्यों काटी जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से धार्मिक महत्व के बारे में जानते हैं।
Krishna Janmashtami 2025: सनातन धर्म में जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। वहीं इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को है। पंचांग के हिसाब से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा आधी रात में भक्त पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं। इस दिन लड्डू गोपाल को 56 भोग लगाने का विधान है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी के दिन खीरा काटने का विधान है। अब ऐसे में सवाल है कि आखिर जन्माष्टमी के दिन आधी रात में खीरा क्यों काटा जाता है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
जन्माष्टमी के दिन आधी रात में क्यों काटा जाता है खीरा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खीरा का संबंध गर्भाशय से बताया गया है और जन्माष्टमी की पूजा में खीरा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बिना भगवान कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। आपको बता दें, खीरे को मां देवकी के गर्भाशय का प्रतीक माना जाता है। इसलिए जब लड्डू गोपाल का जन्म होता है तो उस दौरान आधी रात में खीरा काटने का विधान है। खीरे को काटकर लड्डू गोपाल का जन्म करवाया जाता है। इसे नाभि छेदन भी कहा जाता है।
डंठल खीरा को ही क्यों काटा जाता है?
डंठल खीरे को भगवान श्रीकृष्ण का गर्भनाल कहा जाता है। जिसे जन्म के दौरान डंठल खीरे को काटकर अलग करते हैं। यह देवकी मां और भगवान श्रीकृष्ण का प्रतीक माने जाते हैं। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण का शंख और भजन-कीर्तन करके स्वागत किया जाता है। उसके बाद विधिवत रूप से लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
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डंठल खीरे का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि खीरा संतान सुख की प्राप्ति का कारक माना जाता है। अगर किसी दंपत्ति को संतान सुख का आशीर्वाद चाहिए तो जन्माष्टमी के दिन डंठल खीरे को काटकर उसे लड्डू गोपाल को चढ़ाएं और फिर उनकी पूजा-अर्चना करना चाहिए।
Published By : Aarya Pandey
पब्लिश्ड 13 August 2025 at 12:15 IST