अपडेटेड 12 December 2024 at 08:51 IST

Matsya Dwadashi 2024: मत्स्य द्वादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Matsya Dwadashi 2024 Puja Muhurat: आज मत्स्य द्वादशी मनाई जा रही है। आइए जानते हैं कि आप किस मुहूर्त में विष्णु पूजन कर सकते हैं।

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मत्स्य द्वादशी 2024 | Image: Freepik

Matsya Dwadashi 2024 Puja Muhurat: हिंदू धर्म में मत्स्य द्वादशी का बेहद खास महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित किया गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किए जाने की परंपरा होती है। कहते हैं इस दिन पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के सभी दुखों का नाश होता है और उसका जीवन खुशहाली से भरा रहता है।

इतना ही नहीं इस व्रत को करने से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। वहीं, हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है जो कि इस साल आज यानी गुरुवार, 12 दिसंबर के दिन मनाई जी रही है। ऐसे में अगर आप आज भगवान विष्णु की पूजा करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेना चाहिए।

मत्स्य द्वादशी 2024 मुहूर्त (Matsya Dwadashi 2024 Puja Muhurat)

हिन्दू पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है। इस साल द्वादशी तिथि 12 दिसंबर 2024 को रात 1 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 13 दिसंबर 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में आज गुरुवार, 12 दिसंबर 2024 को मत्स्य द्वादशी का व्रत रखा जा रहा है। वहीं आज के दिन पूजा मुहूर्त की बात करें तो वह कुछ इस प्रकार हैं:-

  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।

मत्स्य द्वादशी की पूजा विधि (Matsya Dwadashi Puja Vidhi)

  • मत्स्य द्वादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें।
  • फिर पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल से शुद्ध करें।
  • इसके बाद लकड़ी की चौकी स्थापित करके उस पर पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
  • अब इस चौकी पर भगवान विष्णु की मत्स्य अवतार वाली प्रतिमा को स्थापित करें।
  • फिर सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें इसके बाद भगवान विष्णु को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें। फिर मत्स्य अवतार की कथा पढ़ें।
  • सबसे आखिर में आरती करके पूजा का समापन करें।

मत्स्य द्वादशी के मंत्र (Matsya Dwadashi 2024 ke Mantra)

  • ऊं मत्स्यरूपाय नमः।
  • ऊं नमो भगवते वासुदेवाय:।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 12 December 2024 at 08:51 IST