अपडेटेड 21 February 2025 at 07:33 IST
Janaki jayanti 2025: जानकी जयंती आज, जरूर करें इस स्तोत्र और स्तुति का पाठ, बनी रहेगी खुशहाली!
Janaki jayanti 2025: आज जानकी जयंती मनाई जा रही है। इस दिन आपको जानकी देवी के इस स्तोत्र और स्तुति का पाठ जरूर करना चाहिए।
Mata Sita stotra and stuti: हिंदू धर्म में जनकी जयती का बेहद खास महत्व है। हर साल फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती मनाई जाती है। जो कि आज यानी शुक्रवार, 21 फरवरी के दिन मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर राजा जनक ने अपनी पुत्री के रूप में माता सीता को स्वीकार किया था। जानकी जी को सीता, मैथिली और सिया जैसे नामों से भी जाना जाता है। जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन माता सीता के साथ प्रभु श्रीराम की पूजा और व्रत करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस दिन आपको किस तरह से पूजा करनी चाहिए साथ ही जानते हैं मां जानकी स्तोत्र और स्तुति पाठ के बारे में।
जानकी जयंती पूजा विधि (Janaki Jayanti Puja Vidhi)
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- फिर माता सीता का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें।
- अपने घर के मंदिर में माता सीता की मूर्ति या चित्र रखें।
- मूर्ति या चित्र को फूल और फल से सजाएं और उन्हें प्रसाद अर्पित करें।
- पूजा के लिए दीपक जलाएं और आरती करें।
- फिर माता सीता की कथा सुनें और उनके जीवन से प्रेरणा लें।
- पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और परिवार के साथ भोजन करें।
जानकी स्तोत्र (Janki Stotra)
नीलनीरज-दलायतेक्षणां लक्ष्मणाग्रज-भुजावलम्बिनीम्।
शुद्धिमिद्धदहने प्रदित्सतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।
रामपाद-विनिवेशितेक्षणामङ्ग-कान्तिपरिभूत-हाटकाम्।
ताटकारि-परुषोक्ति-विक्लवां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
कुन्तलाकुल-कपोलमाननं, राहुवक्त्रग-सुधाकरद्युतिम्।
वाससा पिदधतीं हियाकुलां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
कायवाङ्मनसगं यदि व्यधां स्वप्नजागृतिषु राघवेतरम्।
तद्दहाङ्गमिति पावकं यतीं भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
इन्द्ररुद्र-धनदाम्बुपालकै: सद्विमान-गणमास्थितैर्दिवि।
पुष्पवर्ष-मनुसंस्तुताङ्घ्रिकां भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
संचयैर्दिविषदां विमानगैर्विस्मयाकुल-मनोऽभिवीक्षिताम्।
तेजसा पिदधतीं सदा दिशो भावये मनसि रामवल्लभाम्।।
।।इति जानकीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
श्री जानकी स्तुति (Janki Stuti)
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्।
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्।।1।।
दारिद्र्यरणसंहर्त्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम्।
विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम्।।2।।
भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम्।
पौलस्त्यैश्वर्यसंहत्रीं भक्ताभीष्टां सरस्वतीम्।।3।।
पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम्।
अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम्।।4।।
आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम्।
प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम्।।5।।
नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम्।
नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम्।।6।।
पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्ष:स्थलालयाम्।
नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम्।।7।।
आह्लादरूपिणीं सिद्धिं शिवां शिवकरीं सतीम्।
नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम्।
सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा।।8।।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 21 February 2025 at 07:33 IST