अपडेटेड 22 August 2025 at 14:00 IST

EXCLUSIVE/ पौराणिक कथा को शब्दों कैसे पिरोते हैं अमीश त्रिपाठी, शिव और राम जी को 'नायक' बताने का कहां से आया ख्याल?

Republic Bharat Samvad:  रिपब्लिक भारत के मंच पर अमीश त्रिपाठी ने पौराणिक कथाओं को युवाओं के लिए शब्दों में पिरोने के तरीके के बारे में जिक्र किया। इसके साथ उन्होंने राम जी और शिव जी को 'नायक' बताने के बारे में भी बात की।

Republic Bharat Samvad | Image: Amish Tripathi

Republic Bharat Samvad: रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम नए भारत का शंखनाद 'संवाद' कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। इसमें प्रसिद्ध भारतीय लेखक अमीश त्रिपाठी ने शिरकत की। उन्होंने अपनी लेखनी के बारे में कई अद्भुत बातें हमारे साथ शेयर की। लेखक ने बताया कि वह पौराणिक कथाओं को कैसे सरल और आसान शब्दों में पिरोते हैं। अमीश ने अपनी पुस्तकों में शिव जी और राम जी को 'नायक' बताने के पीछे के ख्याल का भी जिक्र किया। आइए जानते हैं कि अमीश त्रिपाठी ने क्या-क्या बातें बताईं?

देवत्व को देखने के तरीके

अमीश त्रिपाठी ने देवत्व को देखने के तरीकों के बारे में बताते हुए कहा, 'हमारी परंपरा में देवत्व को देखने के भिन्न-भिन्न तरीके हैं। एक निर्गुण निराकार देव होते हैं। एक आकार होते हैं। निर्गुण निराकार को आम लोगों को समझना मुश्किल होता है। प्रभु जब दया करके आकार लेते हैं, ताकि हम उन्हें समझ पाएं, वो आकार होते हैं। तीसरे अवतार होते हैं, जिसे इंग्लिश में लोग 'अवे-तार' कहते हैं। वहीं चौथे वो होता है कि हम सब में भगवान होते हैं।'

इंसान के अंदर भी होता है भगवान

भगवान को देखने के चौथे तरीके का जिक्र करते हुए अमीश त्रिपाठी ने वहां मौजूद जनता से 'नमस्ते' शब्द के अनुवाद करने को कहा। उन्होने बताया कि 'नमस्ते-नम:+ ते', मैं आपके अंदर के देवत्व को नमन कर रहा हूं। इसका मतलब होता है कि हम मान रहे हैं कि आपके अंदर भगवान हैं।

पुस्तके लिखने की क्या है प्रेरणा?  

देव और इंसान में फर्क को भी उन्होने अपने शब्दों में बताया। उन्होंने कहा कि हम अपने देवत्व के अंदर को  समझ नहीं पाते हैं। लेखक ने आगे कहा कि इंसान को अपने अंदर के देवत्व को समझना चाहिए। फिर उन्होंने कहा, देव की कहानियों को ऐसे समझना चाहिए कि वो हमारे लिए एक तरह के रोल मॉडल हैं। उनकी तरह बनने के लिए हम उनसे क्या सीख सकते हैं। इस तरह से इंसान बेहतर होगा। मुझे ये धारणा ही प्रेरित करती है। इसीलिए अपनी पुस्तकें इसी फलसफे से लिखता हूं।

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Published By : Kirti Soni

पब्लिश्ड 22 August 2025 at 14:00 IST