अपडेटेड 16 March 2025 at 18:07 IST

पीएम मोदी क्यों रखते हैं उपवास? अमेरिकी पॉडकास्टर फ्रिडमैन को प्रधानमंत्री ने बताई भारतीय संस्कृति की खासियत

PM मोदी से जब लेक्स फ्रिडमैन ने पूछा कि वो फास्ट क्यों रखते हैं, तो प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति की खास बात बताई।

लेक्स फ्रिडमैन के साथ पीएम मोदी की तीन घंटे लंबी बातचीत। | Image: Republic

PM Modi Lex Fridman Podcast: अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तीन घंटे तक हुई बातचीत का एक पॉडकास्ट अपने यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया है। बातचीत की शुरुआत  फास्टिंग को लेकर सवाल से होती है। पीएम मोदी से फ्रिडमैन ने कहा कि आप बहुत फास्ट रखते हैं, इसलिए मैंने भी रखा है, ताकि आध्यात्म वाले तरीके से बात करें।  उन्होंने पीएम मोदी से उपवास रखने के कारण के बारे में पूछा।

फ्रिडमैन के सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आपने उपवास रखा, और वो भी उस भूमिका से रखा, कि जैसे मेरे सम्मान में हो रहा है। मेरे लिए आश्चर्य की बात है कि आपने व्रत रखा। भारत में जो धार्मिक परंपराएं हैं। वो दरअसल जीवनशैली हैं और हमारी सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू धर्म की बहुत बढ़िया व्याख्या की है। हिंदू धर्म में सिर्फ पूजा करना नहीं है। यह जीवन जीने की कला है। हमारे शास्त्रों में शरीर, मन, आत्मा को ऊंचाई पर ले जाने के रास्ते हैं,परंपराएं हैं। उसमें एक व्रत भी है। मैं सामान्य भाषा में बात करूं तो जीवन को अंदर और बाहर दोनों तरह के अनुशासन में यह काम आता है।”

उपवास अनुशासन के लिए जीवन गढ़ने का काम है: PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा उपवास भारत में अनुशासन के लिए जीवन को गढ़ने में काम आता है। आपकी जितनी इंद्रियां हैं, खासकर सुगंध, स्पर्श की...ये इतनी जागरूक हो जाती है, कि इसकी खुशबू आती है। पहले कभी आपने पानी पिया होगा तो इसकी कोी सुगंध आपको नहीं मिली होगी। इसके साथ ही किसी चीज को स्वीकार करने या फिर रिएक्ट रने की उनकी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। आपके विचार प्रभाव को ये नयापन देते हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि उपवास का मतलब खाना छोड़ देना है। ये तो शारीरिक एक्टिविटी है। मैं कोशिश करता हूं कि उपवास शुरू करने से पहले मैं जितना पानी पी सकूं उतना पीता हूं।

उपवास मेरे लिए समर्पण और अनुशासन है: PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा, “मेरे लिए उपवास एक समर्पण, अनुशासन है। उपवास के समय मैं कितनी ही बाहर की गतिविधि करता रहूं, लेकिन अंतर्मन में खोया रहता हूं। ये बहुत अद्भुत अनुभूति होती है। उपवास मैं किसी किताब को पढ़कर या किसी के उपदेश के कारण नहीं हुआ है। मेरा खुद का स्कूल की उम्र में एक अनुभव है। हमारे स्कूल में महात्मा गांधी की जो इच्छा थी, उसे लेकर एक आंदोलन चल रहा था। उस समय सरकार कोई कानून नहीं बना रही थी। पूरे देश में सार्वजनिक जगह पर बैठकर एक दिन का उपवास करने का कार्यक्रम था। मेरामन कर गया। मेरे जीवन का वो पहला अनुभव था। मैं नई एनर्जी प्राप्त कर रहा था। धीरे-धीरे कई प्रयोगों से मैंने खुद को निकाला।”


 

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 16 March 2025 at 17:41 IST