अपडेटेड 7 August 2025 at 13:26 IST
चीन से पहले जापान के दौरे पर भी जाएंगे PM मोदी, ट्रंप के टैरिफ प्रेशर के बीच यात्रा की सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन दौरे से पहले जापान की यात्र करेंगे। सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के चीन और जापान दौरे को लेकर खूब चर्चा हो रही है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे। बता दें, पीएम मोदी की 2020 में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद यह पहली चीन यात्रा होगी। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-चीन संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं और दोनों देश अभी भी सीमा विवाद के बाद के हालात से जूझ रहे हैं। अपनी चीन यात्रा से पहले, प्रधानमंत्री मोदी 30 अगस्त को जापान की यात्रा करेंगे। वहां वह जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ वार्षिक भारत-जापान शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। पीएम मोदी के इस यात्रा की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है।
व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चिंताओं के बीच 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाले SCO शिखर सम्मेलन में PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत भी होगी। दोनों नेताओं के बीच इस बैठक से वैश्विक ध्यान आकर्षित होने की उम्मीद है, खासकर भारत और चीन के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछली मुलाकात अक्टूबर 2024 में कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हुई थी, जहां दोनों देशों के बीच सीमा तनाव कम करने के प्रयास किए गए थे।
30 अगस्त को जापान जाएंगे पीएम
पीएम मोदी की जापान यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर है। यह बैठक क्षेत्र में भारत की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण होगी, खासकर अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के संदर्भ में। भारत और जापान रक्षा और आर्थिक सहयोग पर मिलकर काम कर रहे हैं, और इस बैठक से उनके संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद है। बता दें, पिछले कई दशकों से अमेरिका का एक बेहद करीबी सहयोगी होने के बावजूद, जापान को अमेरिका से भारी टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।
सोशल मीडिया पर जमकर हो रही चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे को लेकर सोशल मीडिया पर प्रशंसा से लेकर तीखे सवालों तक, तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक यूजर ने इस कदम की विदेश नीति में एक मास्टरस्ट्रोक बताते हुए प्रशंसा की और कहा, "यह गुटनिरपेक्षता का एक उत्कृष्ट कदम है। भारत संकेत दे रहा है कि उसे पक्ष चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा और वह अपने सर्वोत्तम हितों के अनुसार कार्य करेगा। बदलती वैश्विक गतिशीलता का अर्थ है कि सभी प्रमुख शक्तियों के साथ कूटनीति अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।"
एक अन्य ने वैश्विक दबाव के संदर्भ में इस यात्रा के परिणाम पर सवाल उठाते हुए लिखा, "ट्रंप द्वारा चीन और भारत दोनों से रूस से तेल खरीदना बंद करने के अनुरोध के संदर्भ में इस यात्रा पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। क्या इससे भारत-चीन संबंध मजबूत होंगे? इंतजार कीजिए।"
कुछ लोगों ने इसे एक संभावित मोड़ के रूप में देखा। एक यूजर ने लिखा, "प्रधानमंत्री मोदी की आगामी चीन यात्रा, जो पिछले छह वर्षों में पहली है, भारत-चीन संबंधों में संभावित सुधार का संकेत देती है। ट्रंप की टैरिफ संबंधी धमकियों के बीच, यह एससीओ शिखर सम्मेलन यात्रा क्षेत्रीय गतिशीलता को नया रूप दे सकती है। स्थिरता के लिए एक साहसिक कदम या एक जोखिम भरा जुआ?"
कुछ लोगों ने इसे उम्मीद की नजरों से देखा। एक यूजर ने टिप्पणी की, "मोदी की यात्रा चीन-भारत संबंधों को बहाल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम का संकेत है। चीन आपसी लाभ और स्थिरता के लिए बातचीत और क्षेत्रीय सहयोग का स्वागत करता है।"
और कुछ लोगों ने कूटनीति की प्रकृति पर और भी व्यंग्यात्मक ढंग से विचार करते हुए कहा, "जब प्रतिद्वंद्वी हाथ मिलाना शुरू करते हैं, तो यह कभी भी बिना किसी कारण के नहीं होता। हर सार्वजनिक मुस्कान के पीछे एक खामोश रणनीति छिपी होती है। वैश्विक नागरिकों के लिए, यह एक चेतावनी है: शांति वार्ता अक्सर छद्म शक्ति प्रदर्शन होती है।"
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 7 August 2025 at 13:26 IST