अपडेटेड 8 August 2025 at 11:12 IST
Trump Tariff: ट्रंप टैरिफ मजबूरी नहीं सुनहरा अवसर है! विशेषज्ञों ने बताया कैसे मौके का भारत उठा सकता है फायदा
Trump Tariff: भारत के लिए ट्रंप का टैरिफ प्रेशर मजबूरी नहीं बल्कि सुनहरा अवसर बनता नजर आ रहा है। भारत के एक्सपर्ट का मानना है कि ट्रंप भले ही भारत पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन यह हमारे लिए एक मौका है।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के निर्यात पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के फैसला किया है। हालांकि, भारत में एक्सपर्ट्स इसे एक सुनहरे मौके की तरह देख रहे हैं। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच मौजूदा व्यापार तनाव ने दक्षिण एशियाई राष्ट्र के लिए जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर प्रस्तुत किया है।
अमिताभ कांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "ट्रंप ने हमें सुधारों पर अगली बड़ी छलांग लगाने का एक पीढ़ी में एक बार मिलने वाला अवसर प्रदान किया है। संकट का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए।" बता दें, वैसे भी ट्रंप का टैरिफ रूल बेअसर होता नजर आ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी की ओर से इतने दबाव के बावजूद भी रुपया चढ़ रहा है। यह भारत के लिए एक सकारात्मक पहलू है।
ट्रंप की टैरिफ नीति पर क्या बोले आनंद महिंद्रा?
वहीं बिजनेस टाइकून आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, अमेरिका द्वारा छेड़े गए मौजूदा टैरिफ युद्ध में 'अनपेक्षित परिणामों का नियम' चुपके से काम करता दिख रहा है।" उन्होंने इसके लिए अपने पोस्ट में दो उदाहरण भी दिए हैं। पहला उदाहरण देते हुए आनंद महिंद्रा ने लिखा, "ऐसा लग सकता है कि यूरोपीय संघ ने विकसित हो रही वैश्विक टैरिफ व्यवस्था को स्वीकार कर लिया है और अपनी रणनीतिक समायोजन प्रक्रिया के साथ प्रतिक्रिया दे रहा है। फिर भी, इस टकराव ने यूरोप को अपनी सुरक्षा निर्भरता पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसके परिणामस्वरूप फ्रांस और जर्मनी में रक्षा खर्च में वृद्धि हुई है। इस प्रक्रिया में, जर्मनी ने अपनी राजकोषीय रूढ़िवादिता में नरमी बरती है, जो यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में पुनरुत्थान को उत्प्रेरित कर सकती है। दुनिया को विकास का एक नया इंजन मिल सकता है।"
'टैरिफ भारत के लिए ला सकता अच्छे परिणाम'
उन्होंने आग लिखा कि कनाडा, जो लंबे समय से अपने प्रांतों के बीच कुख्यात आंतरिक व्यापार बाधाओं से बाधित है, अब उन्हें दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे देश एक साझा बाजार के करीब आ रहा है और आर्थिक लचीलापन बढ़ रहा है। ये दोनों परिणाम वैश्विक विकास के लिए दीर्घकालिक सकारात्मक परिणाम साबित हो सकते हैं। क्या भारत को भी इस अवसर का लाभ उठाकर अपने लिए एक सकारात्मक परिणाम नहीं गढ़ना चाहिए? जिस तरह 1991 के विदेशी मुद्रा भंडार संकट ने उदारीकरण को गति दी थी, क्या आज टैरिफ पर वैश्विक 'मंथन' हमारे लिए कुछ 'अमृत' ला सकता है?
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आनंद महिंद्रा ने दिए दो सुझाव
उन्होंने दो सुझाव देते हुए लिखा कि आज हम दो मजबूत कदम उठा सकते हैं। पहला व्यापार सुगमता में आमूल-चूल सुधार। भारत को क्रमिक सुधारों से आगे बढ़कर सभी निवेश प्रस्तावों के लिए एक वास्तविक रूप से प्रभावी एकल-खिड़की स्वीकृति प्रणाली बनानी होगी। कई निवेश नियमों पर राज्यों का नियंत्रण होता है, फिर भी हम इच्छुक राज्यों के एक गठबंधन के साथ शुरुआत कर सकते हैं जो एक राष्ट्रीय सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ सकते हैं। यदि हम गति, सरलता और पूर्वानुमानशीलता का प्रदर्शन करते हैं, तो हम विश्वसनीय साझेदारों की तलाश कर रही दुनिया में भारत को वैश्विक पूंजी के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना सकते हैं।
वीजा प्रक्रिया में लानी होगी तेजी
महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख ने आगे दूसरे सुझाव में पर्यटकों की सुविधा में सुधार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा इंजन के रूप में पर्यटन की शक्ति का उपयोग करें। पर्यटन विदेशी मुद्रा और रोजगार के सबसे कम उपयोग किए जाने वाले स्रोतों में से एक है। हमें वीजा प्रक्रिया में तेजी लानी होगी, पर्यटकों की सुविधा में सुधार करना होगा, और मौजूदा आकर्षण केंद्रों के आसपास समर्पित पर्यटन गलियारे बनाने होंगे, जो सुनिश्चित सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य प्रदान करें। ये कॉरिडोर उत्कृष्टता के मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं, अन्य क्षेत्रों को अनुकरण करने और राष्ट्रीय मानकों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 7 August 2025 at 12:37 IST