अपडेटेड 5 December 2025 at 20:09 IST

Train coach colours: ट्रेन के डिब्बे नीले, लाल और हरे ही क्यों होते हैं? ज्यादातर लोगों को नहींं पता, ये है वजह

ट्रेन के डिब्बे नीले, लाल, हरे क्यों होते हैं? ज्यादातर लोग नहीं जानते होंगे कि किसी ट्रेन के डिब्बे का रंग नीला है, तो किसी ट्रेन के डिब्बे का रंग लाल या फिर हर है। यहां हम आपको इस बारे में पूरी जानकारी देंगे।

ट्रेन के डिब्बे लाल-नीले-हरे क्यों होते हैं? | Image: AI

Train coach colours: भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और रोज करोड़ों यात्री इसका इस्तेमाल करते हैं। सफर के दौरान आपने भी गौर किया होगा कि कुछ ट्रेनों के डिब्बे नीले, कुछ लाल तो कुछ हरे रंग के होते हैं। साथ ही डिब्बों पर पीली, सफेद, लाल या हरी पट्टियां भी दिखती हैं। क्या आप जानते हैं कि ये अलग-अलग रंग और पट्टियां संयोग से नहीं, बल्कि खास उद्देश्य से लगाई जाती हैं।

कोच के रंग से पता चलता है उसकी तकनीक और गति कैसी है। दरअसल, ट्रेन के डिब्बों के अलग-अलग रंग उनकी विशेषता, गति और डिब्बों के प्रकार को बताता है। नीले रंग के डिब्बे आमतौर पर ICF कोच होते हैं जो मध्यम गति के लिए होते हैं। वहीं लाल रंग के डिब्बे LHB कोच होते हैं और ये तेज गति के लिए बने होते हैं। वहीं हरे रंग के डिब्बे गरीब रथ ट्रेनों में होते हैं। भूरा रंग का कोच मीटर गेज ट्रेनों के लिए होते हैं। अब तो आपको सब साफ हो गया होगा।

रंग से ट्रेन के डिब्बे के बारे में मिलती है ये जानकारी  

जर्मन तकनीक से बने ये कोच तेज गति (160 किमी/घंटा तक) और ज्यादा सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। राजधानी, शताब्दी, दुरंतो, वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में इन्हीं का इस्तेमाल होता है।  

हरा रंग: गरीब रथ एक्सप्रेस के कोच हरे रंग के होते हैं। यह रंग इन ट्रेनों की पहचान है।  
भूरा रंग: मीटर गेज या नैरो गेज लाइनों (जैसे हिमालयन रेलवे) के कोच भूरे रंग के होते हैं।

डिब्बों पर लगी पट्टियों का मतलब क्या?

रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और पहचान के लिए अलग-अलग रंग की पट्टियां भी निर्धारित की हैं।

पीली पट्टी: विकलांग यात्रियों और मेडिकल सहायता चाहने वालों के लिए आरक्षित डिब्बा होता है।  
सफेद पट्टी (नीले कोच पर): सामान्य श्रेणी (जनरल कोच)।  
लाल पट्टी: प्रथम श्रेणी (First Class) या AC First Class कोच होता है।  
हरी पट्टी: महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बा (Ladies Coach) होता है। 

क्यों जरूरी है यह रंग कोडिंग? 

रंग और पट्टियां देखकर यात्री दूर से ही कोच की श्रेणी समझ जाते हैं। स्टेशन पर भीड़ में भी सही डिब्बा ढूंढना आसान हो जाता है। साथ ही मेंटेनेंस टीम को भी कोच की तकनीक (ICF या LHB) तुरंत पता चल जाती है। अब अगली बार जब आप प्लेटफॉर्म पर खड़े हों, तो एक नजर डिब्बे के रंग और पट्टी पर जरूर डालिएगा,आपको खुद पता चल जाएगा कि आपकी सीट किस तरह के कोच में है और उसकी खासियत क्या है।  

यह भी पढ़ें: इंडिगो संकट के बीच विमान टिकट के रेट में लगी आग, भाड़ा 50 हजार के पार

Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 5 December 2025 at 20:09 IST