अपडेटेड 30 August 2024 at 17:08 IST

कौन थे मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह? जिनका बनाया नमाज ब्रेक नियम असम की हिमंता सरकार ने किया रद्द

मुस्लिम लीग के मुहम्मद सादुल्ला ही वो शख्स थे जिन्होंने 1946 में पाकिस्तान की मांग में भाग लिया और असम को पाकिस्तान में शामिल करने की वकातल की थी।

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कौन थे मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह? | Image: Republic

Namaz Break on Friday: असम विधानसभा में अब जुमे की नमाज पढ़ने के लिए ब्रेक नहीं मिलेगा। असम सरकार ने सदन में नमाज के लिए मिलने वाले 2 घंटे के ब्रेक का नियम खत्म कर दिया है। सीएम हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि नमाज ब्रेक को खत्म करके उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और उपनिवेशवाद के एक और निशान को हटा दिया है। सीएम ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और विधायकों का आभार व्यक्त किया है।

असम विधानसभा में अभी तक सदन की कार्यवाही के दौरान मुस्लिम विधायकों को दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक नमाज के लिए 2 घंटे का ब्रेक मिलता था। यह प्रथा 1937 से चली आ रही थी, जिसे मुस्लिम लीग के मुहम्मद सैयद सादुल्लाह (Muhammad Syed Saadulla) ने शुरू किया था। अब असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने इसे खत्म कर दिया है। 126 सदस्य वाली असम विधानसभा में फिलहाल 31 मुस्लिम विधायक हैं।  

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कौन थे मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह?

मुहम्मद सादुल्ला एक वकील और असम में मुस्लिम लीग के नेता थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 1928 में नाइटहुड की उपाधि दी थी। 1936 में उन्होंने ब्रिटिश भारत में असम के पहले मुख्यमंत्री बनने के लिए अन्य गैर-कांग्रेसी दलों के साथ गठबंधन बनाया। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद उन्हें 1938 में इस्तीफा देना पड़ा। सैयद मुहम्मद सादुल्ला ब्रिटिश भारत के प्रमुख 8 प्रांतों में से एक, असम प्रांत के पहले मुख्यमंत्री थे। सादुल्ला ने मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण हासिल करने के पक्ष में भी बात की थी।

सादुल्ला असम से संविधान सभा के लिए चुने गए थे। वह मुस्लिम लीग के 28 सदस्यों में से एक थे जिन्होंने विधानसभा की कार्यवाही में भाग लिया और मसौदा समिति (Drafting Committee) में बैठने वाले मुस्लिम लीग के एकमात्र सदस्य थे।

असम को पाकिस्तान में शामिल करने की मांग

1947 में जब आजादी के बदले भारत और पाकिस्तान में देश के दो टुकड़े हो रहे थे। मुहम्मद सादुल्ला ही वो शख्स थे जिन्होंने 1946 में पाकिस्तान की मांग में भाग लिया और असम को पाकिस्तान में शामिल करने की वकातल की थी। उन्होंने पाकिस्तान को हासिल करने के लिए 'सीधी कार्रवाई' के आह्वान के संबंध में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के आह्वान के जवाब में नाइटहुड का त्याग कर दिया था। हालांकि, विभाजन पर जब असम ने पाकिस्तान से बाहर निकलने का विकल्प चुना, तो वह असम में ही रहे और पाकिस्तान नहीं गए।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 30 August 2024 at 17:08 IST