अपडेटेड 10 February 2025 at 22:25 IST
अश्लील कंटेंट का आपके बच्चों पर क्या असर पड़ता है? असंतुलित हो सकता है डोपामाइन का स्तर, पेरेंट्स हो जाएं सावधान!
अश्लील कंटेंट बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक व्यवहार, शिक्षा और रिश्तों पर गंभीर प्रभाव डालता है। इसे रोकने के लिए पैरेंट्स को सतर्क रहना चाहिए।
Ranveer Allahabadia Controversy: कॉमेडियन समय रैना के 'इंडियाज गॉट लेटेंट' शो पर फैलाई गई फूहड़ता की आलोचना से इंटरनेट भरा पड़ा है। यूट्यूबर-पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया (Ranveer Allahbadia) ने पेरेंट्स को लेकर एक ऐसा सवाल किया जिसपर हर कोई उनकी आलोचना कर रहा है और मामला थाने तक पहुंच गया है। रणवीर इलाहाबादिया ने समय रैना के शो पर गंदी बात कर अपनी भद पिटवा ली है।
माता-पिता और यौन संबंधों पर इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया की आपत्तिजनक टिप्पणियों की सोमवार को व्यापक पैमाने पर आलोचना होने के बाद यूट्यूबर ने माफी मांगी और कहा कि कॉमेडी उनकी खासियत नहीं है। रणवीर के जिस बयान पर बवाल मचा है, इस तरह के कंटेंट सोशल मीडिया पर बहुत आसानी मिल जाते हैं। इस तरह के अश्लील कंटेंट का आपके बच्चों पर बेहद ही बुरा असर पड़ता है।
अश्लील कंटेंट का बच्चों पर प्रभाव
आज के डिजिटल युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए बच्चे आसानी से अश्लील कंटेंट तक पहुंच सकते हैं। यह उनके मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अश्लील सामग्री देखने से बच्चों का दिमाग असामान्य रूप से उत्तेजित होता है, जिससे उनके ध्यान और एकाग्रता पर असर पड़ सकता है।
- छोटी उम्र में लगातार अश्लील कंटेंट देखने से डोपामाइन का स्तर (खुशी देने वाला हार्मोन) असंतुलित हो जाता है, जिससे बच्चे को इसकी आदत हो सकती है
- बच्चों को सही और गलत के बीच फर्क समझने में परेशानी होती है
- वे असली दुनिया की तुलना में वर्चुअल दुनिया को ज्यादा आकर्षक समझने लगते हैं
- उनमें आक्रामकता, चिंता, डिप्रेशन और गिल्ट की भावना बढ़ सकती है
- अश्लील कंटेंट देखने वाले बच्चे रिश्तों को भौतिक सुख और हिंसा से जोड़ने लगते हैं
- महिलाओं और पुरुषों के प्रति गलत सोच विकसित कर सकते हैं
- बच्चों में झूठ बोलने और छिपकर इंटरनेट चलाने की आदत बढ़ सकती है
शारीरिक प्रभाव
बच्चे यौन संबंधों और नैतिकता को सही ढंग से नहीं समझ पाते, जिससे वो अक्सर गलत फैसले लेते हैं। देर रात तक वीडियो देखने से नींद की कमी होती है, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से आंखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। अश्लील कंटेंट देखने से किशोरों में पॉर्नोग्राफी की लत लगने का भी खतरा बना रहता है। जिससे वे बार-बार इसे देखने के लिए मजबूर महसूस करते हैं। यह पढ़ाई, खेलकूद और पारिवारिक जीवन से ध्यान हटाने का कारण बन सकता है।
पढ़ाई और करियर पर असर
अश्लील कंटेंट की लत लगने से बच्चों का धीरे-धीरे पढ़ाई में ध्यान लगना कम होने लगता है। वे एकाग्रता की कमी और कम आत्मविश्वास का शिकार होने लगते हैं। स्कूल में प्रदर्शन खराब हो सकता है, जिससे भविष्य के करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बच्चों को अश्लील कंटेंट से कैसे बचाएं?
- YouTube और सोशल मीडिया पर पैरेंटल कंट्रोल सेट करें
- बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करें और उन्हें सही-गलत की समझ दें
- उनके स्क्रीन टाइम की निगरानी करें और अच्छे शौक पैदा करने में मदद करें
- 'Restricted Mode' और 'YouTube Kids' का उपयोग करें
- अगर बच्चा पहले से इसका शिकार हो गया है, तो साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर की मदद लें।
अश्लील कंटेंट बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक व्यवहार, शिक्षा और रिश्तों पर गंभीर प्रभाव डालता है। इसे रोकने के लिए पैरेंट्स को सतर्क रहना चाहिए, सही गाइडेंस देना चाहिए और टेक्नोलॉजी का समझदारी से उपयोग करना चाहिए।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 10 February 2025 at 22:25 IST