अपडेटेड 5 May 2025 at 19:00 IST
'मैं रो रही और मुझे चुप कराने के लिए मेरा भाई...' विनय नरवाल की बहन ने भाई को ऐसे दी श्रद्धांजलि, सुनकर फट जाएगा कलेजा
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की छोटी बहन सृष्टि ने अपने भाई को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। सृष्टि का इमोशनल स्पीच सुन आपके आंसू ठहर नहीं पाएंगे।
पहलगाम आतंकी हमले में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मौत हो गई। 22 अप्रैल को आतंकियों ने पहलगाम में घूमने आए टूरिस्टों को उनका धर्म पूछ-पूछकर पत्नी और बच्चों के सामने मार दिया। हरियाणा के विनय नरवाल अपनी पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून मनाने के लिए कश्मीर पहुंचे थे। हिमांशी के हाथों की मेहंदी भी नहीं छूटी होगी कि उसके मांग का सिंदूर उजड़ गया। विनय की छोटी बहन सृष्टि ने अपने बड़े भाई को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
सृष्टि ने भाई की याद में आयोजित शोक सभा में कहा, "पिछले 12-13 दिनों से हमारे घर पर बहुत लोगों का आना-जाना हो रहा है, जो कि हमें हौसला दे रहा है। विनय मेरा भाई एक शहीद होने से पहले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल होने से पहले वो हमेशा मेरे लिए मेरा बड़ा भाई रहा है। प्यारे विनय, मेरे भईया, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस भाई ने मेरे पैदा होते ही मुझे अपनी गोद में खिलाया, मैं उसकी जिंदगी की अंतिम यात्रज्ञा में उसको कंधा दूंगी। जिस भाई ने मुझे पटाखों की शोर से हमेशा बचाकर रखा, उसी भाई की शहादत की अंतिम सलामी की गूंज आज तक मेरे कानों में गूंजती है।"
'जो आग के नजदीक नहीं जाने देता था, उस भाई को मुखाग्नि...'
सृष्टि ने आगे कहा कि जिस भाई ने मुझे कभी आग के नजदीक नहीं आने दिया उसी भाई को मैंने मुखाग्नि दी। जो भाई मुझे कभी रोता हुआ नहीं देख सकता था, मुझे रोता देखकर उसे रोना आ जाता था, आज मैं रो ही हूं तो वो है ही नहीं मुझे चुप कराने के लिए। सच बोलूं तो अबतक यकीन नहीं हुआ है, जो हमारे साथ हुआ, कैसे और क्यों हुआ। जबतक मैं रहूंगी, विनय रहेगा। वो अमर रहेगा। वो हम सब के अंदर है। पूरा देश जिसे उसकी वर्दी और शहादत से जानता है, उसे हम सब परिवार वाले उसे दिल से जानते हैं। जितना बड़ा उसका कद था, उससे लाख गुना बड़ा उसका दिल था। ये सब कहते हुए सृष्टि की आंखें बार-बार डबडबा जा रही थी, बार-बार गला भारी हो रहा था। लेकिन एक फौजी की बहन की साहस को देख आपके आंसू रूक नहीं पाएंगे। सृष्टि ने विनय के साथ गुजरे बचपन का किस्सा सबको सुनाया।
चूरमा विनय का सबसे पसंदीदा खाना था
सृष्टि ने कहा, "एक खिलखिलाता सा बचपना और प्यारी सी मुस्कान थी। हमेशा कुछ बड़ा करने का जुनून था। मां की जान, पापा का दुलारा और दादा-दादी के जीने की वजह, हमारा सबकुछ था वो। ऐसा लगता है कि मेरे शरीर के अंदर से किसी ने मेरा एक अंग ही अलग कर दिया हो। चूरमा उसका फेवरेट डिश था। जब हम छोटे थे तो मां हमें चूरमा बनाकर खिलाती थी, फिर जब हम बड़े हुए तो वो मुझे अपने हाथों से खिलाता था। मैं उसको हमेशा बोलती थी कि जब मेरे बच्चे होंगे तो मैं उसे चूरमा बनाकर खिलाऊंगी।"
सरप्राइज देने के शौकीन थे विनय
उन्होंने कहा, "उसे सरप्राइज देने का बहुत शौक था। पर लगता है नीयति ने ही हमें सरप्राइज कर दिया। पिछले कुछ महीनों से हम विनय और हिमांशी की शादी को लेकर बहुत खुश थे। हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था। और फिर एक पल में 22 अप्रैल को हमारी जिंदगी पलट गई। जब हम छोटे थे तो वो कई बार AC पार्लर में जाता था। ये उसकी पसंदीदा मूवी में से एक थी और वो मुझसे कहता था कि सृष्टि, तेरा भाई भी एक दिन ऐसे ही तिरंगे में लिपटा हुआ आएगा। और मैं उसे खूब डांटती थी। भले ही जिंदगी में किस्मत पलट गई हो, फिर भी उसने सपना देखा और हम सभी को और पूरे देश को गर्व हुआ और वो उस पर बहुत गर्व करता है।"
सृष्टि ने कहा कि हम सबकी आंखों में नमी है, लेकिन मुझे इतना यकीन है कि आने वाले सालों में जब भी हम विनय को याद करेंगे, तब हमारे चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान होगी। जैसे वो हमेशा मुझसे बात करता था, छोटी, ये सब नजरिए की बात है। भले ही विनय दुनिया में न हो, लेकिन वो हमारे अंदर है, सबके अंदर है, वो अमर है और हमेशा अमर रहेगा। जय हिंद। सृष्टि ने अपने प्यारे भाई के लिए एक कविता भी लिखी।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 5 May 2025 at 18:53 IST