अपडेटेड 7 November 2025 at 11:47 IST

Vande Mataram: आजादी के आंदोलन में हर ओर वंदे मातरम, फिर भी राष्ट्र गान नहीं बल्कि राष्ट्रगीत का मिला स्थान, बंकिम की अमर रचना के 150 साल

150 Years of Vande Mataram: आज देश के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे हो गए हैं। इस खास मौके पर वंदे मातरम गाने का इतिहास और इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे।

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वंदे मातरम के 150 साल | Image: X/FM

150 Years of Vande Mataram: देश के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे हो गए हैं। इस खूबसूरत और राष्ट्रगीत की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी कलम से की थी। इस गीत को लेकर कहा जाता है कि यह वो गीत था जिसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की अमर रचना कहा गया। आज की तारीख में वंदे मातरम को लगभग हर स्कूल और कॉलेज में गया जाता है।

वंदे मातरम को लेकर कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठता है कि इतना महत्वपूर्ण गाना होकर भी इसे राष्ट्रगान का दर्जा क्यों नहीं मिल? आजादी के दिनों में इतने प्रचलित और आजादी की जंग में अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में जोश भरने वाला वंदे मातरम, राष्ट्रगान की जगह राष्ट्रगीत क्यों बना? आज इस आर्टिकल में हम आपको वंदे मातरम गीत से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों का जवाव देने जा रहे हैं।

वंदे मातरम गीत का इतिहास

वंदे मातरम गीत का इतिहास भारत की आजादी से पूर्व का है। जी हां, इस गीत के इतिहास के बारे में जिक्र किया जाए तो 7 नवंबर, 1875 को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय लिखी थी। आपको बता दें कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाली उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। कहा जाता है कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने लेखन से उस समय पूरे देश में राष्ट्रीय चेतना जगाई और 'वंदे मातरम' गीत लिखा, जिसे आज राष्ट्रगीत के नाम से जाना जाता है।

वंदे मातरम को राष्ट्रगान का दर्जा क्यों नहीं मिला?

ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर कई लोगों का मानना है कि वंदे मातरम गीत देश के लिए मर-मिटने का मंत्र था, तो दूसरी तरफ अंग्रेजों के लिए बगावत का डर भी था। इतिहास के अनुसार मुस्लिम लीग और उसके समर्थकों के साथ अंग्रेजों ने गीत पर पाबंदी लगाने के बारे में सोचा। इसी बीच कांग्रेस ने बीच का रास्ता निकाला और कहा कि गीत के सिर्फ दो पद्य लिया जाए। उन्होंने यह भी मुखालफत की कि वंदे मातरम को गाना नहीं बल्कि राष्ट्रगीत का स्थान दिया जाएगा। इस तरह वंदे मातरम को राष्ट्रगान नहीं बल्कि राष्ट्रगीत का दर्जा मिला।

वंदे मातरम का मतलब

कहा जाता है कि वंदे मातरम का मतलब है 'मां को नमन करता हूं या फिर भारत माता मैं तेरी स्तुति करता हूं। इसलिए इस गीत को कई लोग माता का गीत भी मानते हैं। आपको बता दें कि 1896 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार ये गीत गाया गया था।

150 साल पूरे होने भर पीएम मोदी क्या बोलें

बिहार में पीएम मोदी एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर कहा कि 'वंदे मातरम्' न केवल आज़ादी का गीत बना, बल्कि 'वंदे मातरम्' ने करोड़ों देशवासियों के सामने स्वतंत्र भारत कैसा होगा, वह 'सुजलाम सुफलाम' सपना भी प्रस्तुत किया।"

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 7 November 2025 at 11:47 IST