अपडेटेड 15 July 2025 at 20:34 IST
Rajma: राजमा के हैं शौकीन तो उत्तराखंड के चंबा की राजमा जरूर आजमाएं, स्वाद के हो जाएंगे दीवाने, सेहत का है खजाना
उत्तराखंड के चंबा में उगाई जाने वाली देसी राजमा स्वाद और सेहत का खजाना है, जिसे स्थानीय लोग राष्ट्रीय पहचान दिलाना चाहते हैं। जानें क्यों है सबसे खास?
Chamba Rajma: उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में बसा चंबा जहां हिमालय की गोद में प्राकृतिक सौंदर्य मुस्कुराता है, जहां की एक अनदेखी विरासत 'देसी राजमा' को पहचान दिलाने का कोशिश की जा रही है। अक्सर ‘चंबा’ का नाम आते ही हिमाचल की छवि उभरती है, लेकिन टिहरी गढ़वाल का यह छोटा कस्बा भी अपनी पारंपरिक कृषि तकनीकों के लिए जाना जाता है। खासतौर पर यहां उगाई जाने वाली राजमा जो गाढ़े रंग, सौंधी सुगंध और मलाईदार बनावट के लिए प्रसिद्ध है।
चंबा में किसान आज भी रासायनिक खादों से दूर रहकर जैविक खेती करते हैं। पहाड़ी मिट्टी और जलवायु इस फसल को और भी खास बना देती है। यह राजमा न सिर्फ स्वाद में बेहतर है, बल्कि पचाने में आसान और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है। इस राजमा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन्स भरपूर होते हैं। जो ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि वजन नियंत्रण में भी सहायक है। खासकर शाकाहारी लोगों के लिए यह एक बेहतरीन प्रोटीन विकल्प है।
उत्तराखंड के चंबा की राजमा आज भी सीमित
जहां हिमाचल की चंबा राजमा को बाजार और पहचान मिल चुकी है, वहीं उत्तराखंड की यह विरासत आज भी स्थानीय मंडियों तक ही सिमटी हुई है। स्थानीय किसान अब ऑनलाइन बिक्री की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संसाधनों और समर्थन की कमी उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने से रोक रही है। अगर सरकार इस पहल को GI टैग या खाद्य मंत्रालय की स्कीमों से जोड़ दे, तो उत्तराखंड की यह जैविक विरासत अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी जगह बना सकती है। यह समय है जब स्वाद, सेहत और परंपरा को एक मंच दिया जाए।
राजमा की खेती में महिलाओं की अहम भूमिका
चंबा की राजमा की खेती में महिलाओं की अहम भूमिका है। गांवों की महिलाएं न सिर्फ खेतों में मेहनत करती हैं, बल्कि बीजों को संभालने से लेकर उन्हें मंडियों तक पहुंचाने का जिम्मा भी उठाती हैं। यह खेती उनके लिए आजीविका का साधन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की राह है। कई स्वयं सहायता समूह अब इस राजमा को पैक कर ब्रांडिंग की दिशा में भी काम कर रहे हैं।
राजमा की पारंपरिक खेती न सिर्फ सेहतमंद फसल देती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। रासायनिक खादों से दूर रहकर की जा रही यह जैविक खेती मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है और जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाती है। ऐसे वक्त में जब टिकाऊ कृषि की जरूरत बढ़ रही है, चंबा का मॉडल पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 15 July 2025 at 19:01 IST