अपडेटेड 6 February 2025 at 20:38 IST
दहेज में नहीं मिली बुलेट, तो काट दिया पत्नी का गला, मानसिकता देख जज भी परेशान; सास-ससुर और पति को फांसी की सजा
Dowry death case: अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आज भी समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता है। हमें इस मानसिकता को बदलना होगा।
बरेली (उप्र), छह फरवरी (भाषा) दहेज हत्या के एक मामले में एक स्थानीय अदालत ने पति, सास और ससुर को मौत की सजा सुनाई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (त्वरित अदालत प्रथम) रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में दहेज प्रथा की निंदा करते हुए सख्त टिप्पणियां कीं और समाज को चेतावनी दी कि यदि इस कुप्रथा को नहीं रोका गया, तो आने वाली पीढ़ियां भी इसका दंश झेलेंगी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिगंबर सिंह ने बताया कि एक मई 2024 को फराह (19) की धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। सिंह ने बताया कि शादी के एक साल बाद ही महज बुलेट मोटर साइकिल के लिए फराह की हत्या कर दी गई। शासकीय अधिवक्ता के अनुसाार अभियुक्तों ने एक महिला की मात्र दहेज के लालच में साजिशन हत्या की । इस मामले में अभियुक्त 25 वर्षीय मकसद अली फराह का पति है, साबिर अली उसके ससुर हैं और मसीतन उर्फ हमशीरन उसकी सास हैं।
सास-ससुर और पति को फांसी की सजा
अदालत ने इस मामले में पति मकसद अली, ससुर साबिर अली (60) और सास मसीतन उर्फ हमशीरन (55) को फांसी की सजा सुनाई। तीनों के खिलाफ नवाबगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आज भी समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता है।
इस मानसिकता को बदलना होगा- जज
अदालत ने कहा कि उनकी शादी को माता-पिता के लिए जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मान लिया जाता है, जिससे दहेज जैसी प्रथाएं जन्म लेती हैं। न्यायाधीश ने कहा ,‘‘ हमें इस मानसिकता को बदलना होगा।’’ न्यायाधीश ने कहा कि यदि इस तरह के अपराधों में नरमी बरती जाती है, तो यह समाज में अपराध को बढ़ावा देने जैसा होगा। अदालत ने कहा कि दहेज हत्या का यह मामला जघन्यतम अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए दोषियों को फांसी की सजा दी जाती है।
अदालत ने कहा कि यह केवल एक महिला की हत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है तथा यदि इस तरह के मामलों में कठोर दंड नहीं दिया गया, तो बेटियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखते हुए दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 6 February 2025 at 20:38 IST