अपडेटेड 28 November 2024 at 21:53 IST
थाईलैंड में नौकरी का झांसा देकर युवक को भेजा म्यांमार, विदेश मंत्रालय के दखल के बाद हुई सकुशल वापसी
म्यांमार में फंसे कानपुर के युवक की विदेश मंत्रालय के दखल के बाद घर वापसी हो गई है। मोटी तनख्वाह का झांसा देकर उसे थाईलैंड की जगह म्यांमार भेज दिया गया था।
गौरव त्रिवेदी
म्यांमार में फंसे कानपुर के युवक की विदेश मंत्रालय के दखल के बाद घर वापसी हो गई है। मोटी तनख्वाह का झांसा देकर उसे थाईलैंड की जगह म्यांमार भेज दिया गया था। म्यांमार से लौटे शिवेंद्र ने बताया कि मेरे लिए यह 24 दिन 24 साल के बराबर हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि जिंदगी में यह दिन भी देखना पड़ेगा।
शिवेंद्र ने कहा कि मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि खाना होते हुए भी खाने को तरस जाएंगे। ज्यादा तेज बोलने पर जुर्माना देना पड़ेगा। म्यांमार के जंगलों में स्थित कॉल सेंटर के जरिए भारतीयों से साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी जा रही थी। साइबर ठगी करने से मना करने पर उसे वहां पर बंधक बना लिया गया। जालसाजी में म्यांमार से वापस लौटे युवक का कहना है कि जिस जगह पर उसे रखा गया वहां पर कंपनी वालों की अपनी आर्मी थी और उन्होंने अपनी जेल बना रखी थी।
थाईलैंड में नौकरी के झांसा देकर युवक को फंसाया
बतादें कि कल्याणपुर में रहने वाला शिवेन्द्र अच्छी नौकरी के झांसे में फंस गए थे। वह 31 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचे। वहां से एजेंट संदीप और करनदीप ने उसे थाईलैंड की फ्लाइट में बैठा दिया। उससे कहा गया था थाईलैंड में एक बड़ी स्टॉक एक्सचेंज की कंपनी है जिसके कॉल सेंटर में उसे 80 हजार की नौकरी दिलाई गई है। 3 नवंबर को शिवेंद्र फ्लाइट में बैठा और थाईलैंड पहुंचा। वहां पर चाइनीज लोगों ने उसे रिसीव किया। गाड़ी में बैठाकर उसे साढ़े चार सौ किलोमीटर दूर ले गए। वहां पर दूसरी गाड़ी में बैठाया गया। इसके बाद एक नदी पड़ी। जहां दूसरी गाड़ी छोड़ दी और नाव से नदी पार कराई गई।
बर्मा में बना है साइबर अपराधियों का शहर
नदी पार करने के बाद तीन गाड़ियां और बदली गई और फिर वह बर्मा बॉर्डर पहुंचा। उस जगह को म्यांमार ही कहा जा रहा था। शिवेन्द्र को जहां रखा गया वहां से साइबर अपराध करने वाले गिरोह ने पूरा शहर बसा रखा था। वहां पर अलग-अलग तरीके से भारतीयों से ठगी की जा रही थी। उसके अलावा भारत के कई लोग वहां पर फंसे हुए हैं।
विदेश मंत्रालय के दखल से हुई शिवेंद्र की वतन वापसी
शिवेंद्र का कहना है कि जब उसे पता चला कि भारतीयों के साथ ही साइबर फ्रॉड करना है तो उसने काम करने से मना कर दिया। इसके बाद उसे 10 लाख रुपए देने को कहा गया। तब उसने अपने परिजनों को उसकी जानकारी दी। परिजनों ने क्राइम ब्रांच विदेश मंत्रालय से संपर्क साधा। जिसके बाद उसकी वापसी सुनिश्चित हो सकी। शिवेंद्र के परिजन क्राइम ब्रांच के साथ-साथ प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते नहीं थक रहे हैं। दरअसल उन्होंने मान लिया था कि उनके बच्चे की वापसी बहुत मुश्किल है। वहीं पुलिस ने मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 28 November 2024 at 21:53 IST