अपडेटेड 29 December 2025 at 23:10 IST
UP: गंगा की गोद में बैठ वैदिक मंत्रोच्चारण... असद खान धर्म परिवर्तन कर बना अथर्व त्यागी, बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या से था आहत
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले असद खान ने काशी पहुंचकर सनातन धर्म अपना लिया। गंगा की गोद में नाव पर 21 ब्राह्मणों की उपस्थिति में वैदिक विधि-विधान से असद की शुद्धिकरण और पूजन संपन्न हुआ।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले असद खान ने काशी पहुंचकर सनातन धर्म अपना लिया। गंगा की गोद में नाव पर 21 ब्राह्मणों की उपस्थिति में वैदिक विधि-विधान से असद की शुद्धिकरण और पूजन संपन्न हुआ। इसके बाद गणेश पूजन कराया गया। हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया।
शुद्धिकरण के बाद असद का नामकरण कर उन्हें 'अथर्व त्यागी' नाम दिया गया। पूजन कराने वाले ब्राह्मण आलोक नाथ योगी ने बताया कि घर वापसी से पूर्व शुद्धिकरण संस्कार किया गया, तत्पश्चात वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन कर नामकरण हुआ। कहा कि यह पूरी प्रक्रिया शास्त्रीय विधि के अनुसार संपन्न कराई गई।
इस्लाम त्यागने की वजह बताई
अब अथर्व त्यागी कहलाने वाले युवक ने अपने फैसले के पीछे की वजह भी साझा की है। उनका कहना है कि वे लंबे समय से इस्लाम धर्म में मौजूद कुछ धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक बंधनों से असहज महसूस कर रहे थे। मूर्ति पूजा का विरोध, खान-पान को लेकर सख्ती और कुछ धार्मिक नियमों ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया।
अथर्व का कहना है कि उनके मन में शुरू से ही भगवान महाकाल के प्रति गहरी आस्था रही है, लेकिन पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण वे कभी खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाए। मूर्ति पूजा करने से रोका जाना उन्हें भीतर से व्यथित करता था।
बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या से आहत
यही नहीं अथर्व की मानें तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार ने भी उसे आहत कर दिया और सनातन धर्म की ओर प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने काशी आकर ब्राह्मणों की देख रेख में अपना धर्म परिवर्तन करने का फैसला लिया।
आत्मिक शांति और नई पहचान
युवक ने स्पष्ट किया कि धर्म परिवर्तन का फैसला उसने किसी दबाव या लालच में नहीं, बल्कि पूरी तरह अपनी इच्छा और आस्था के आधार पर लिया है. उनका कहना है कि सनातन धर्म अपनाने के बाद उन्हें आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन का अनुभव हो रहा है। धर्म परिवर्तन के साथ ही उन्होंने अपना नाम बदलकर अथर्व त्यागी रखा, जिसे वे अपने जीवन की नई शुरुआत और नई पहचान के रूप में देखते हैं. सागर से बनारस तक का यह आस्था से जुड़ा सफर अब स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 29 December 2025 at 23:10 IST