अपडेटेड 9 February 2025 at 09:59 IST
महाकुंभ में लाखों खर्च कर लोग बनवा रहे नकली जटाएं, संगम घाट पर किन्नर ने खोला पार्लर; हर्षा रिछारिया ने भी यहीं बनवाई जटा
Jata Parlour in Mahakumbh 2025: अलीजा बाई भारत की पहली ट्रांसजेंडर ड्रेडलॉक कलाकार हैं जिनके पास जटाएं बनवाने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।
Jata Parlour in Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर से लोग आ रहे हैं। महाकुंभ काफी बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया है जहां हर दिन संंगम में डुबकी लगाने के लिए करोड़ों लोग आते हैं। महाकुंभ में किन्नड़ अखाड़ा भी काफी सुर्खियों में रहा। इसी ने पूर्व एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया था। अब इसी अखाड़े की अलीजा बाई (Aliza Bai) ने भी अपने जटा पार्लर से इतिहास रच दिया है।
अलीजा बाई भारत की पहली ट्रांसजेंडर ड्रेडलॉक कलाकार हैं जिनके पास जटाएं बनवाने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। वो जटा बनाने या आर्टिफिशियल जटा लगाने के लिए 8 हजार से 1.65 लाख रुपए तक चार्ज करती हैं। नकली जटाएं बनाने के लिए कैनाकुलर का इस्तेमाल होता है, जो काफी महंगा होता है।
महाकुंभ में छाईं ट्रांसजेंडर ड्रेडलॉक कलाकार
अलीजा बाई ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में अपने इस यूनिक प्रोफेशन को लेकर बात की। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके जटा पार्लर में साधु-संत भी आते हैं। सोशल मीडिया इंफ्सूएंलर हर्षा रिछारिया भी यहां तैयार हुई थीं। महाकुंभ में लोगों के बीच जटाएं बनवाने का ट्रेंड सा शुरू हो गया है और उनकी ये मुराद पूरी कर रही हैं अलीजा बाई। उन्होंने बताया कि ना केवल जटा बनाने में मेहनत लगती है, बल्कि इसे खोलना भी उतना ही मुश्किल है। चार से 17 फीट तक लंबी जटाएं बनवाई जा सकती हैं।
जटा पार्लर में लाखों रुपये देकर जटाएं बनवा रहे लोग
अलीजा ने आगे खुलासा किया कि उनके पार्लर में एक 1.65 लाख का पैकेज है जिसमें 16-16 फीट की जटाएं लगाई जाती हैं और उनका प्रॉपर ट्रीटमेंट भी होता है। युवा साधु हो या किन्नर अखाड़े के सदस्य, सभी इसी तकनीक के जरिए जटाएं बनवाते हैं।
डिप्रेशन के चलते छोड़ी नौकरी, फिर बनीं भारत की पहली ड्रेडलॉक आर्टिस्ट
जौनपुर की रहने वाली अलीजा ने थर्ड जेंडर होने के कारण शुरुआत से ही दिक्कतें झेली हैं। उनके पास कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री है। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्हें मुंबई की एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई। वो अच्छा-खासा कमा रही थीं लेकिन लोगों के तानों से वो डिप्रेशन में चली गई थीं। नौकरी छोड़कर वो उज्जैन चली गईं जहां उनकी मुलाकात किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से हुई। गुरु दीक्षा के बाद अलीजा किन्नर अखाड़े में शामिल हो गईं।
जब अलीजा काफी साधु-संतों से मिली तो उनका ध्यान उनकी जटाओं पर गया। जटा बनाना काफी मुश्किल होता है जो आम इंसान के बसकी बात नहीं है। यहीं से शुरू हुआ उनका सफर। उन्होंने फ्रांस के एक ड्रेडलॉक ट्रेनर से ट्रेनिंग ली। उन्होंने अपने बालों पर एक्सपेरीमेंट किए और उज्जैन में अपनी एकेडमी खोल ली जो देश की पहली ड्रेडलॉक एकेडमी है। उनकी एकेडमी में कई लोग जटा संवारने और आर्टिफिशियल जटा लगाने की ट्रेनिंग लेने आते हैं।
Published By : Sakshi Bansal
पब्लिश्ड 9 February 2025 at 09:59 IST