अपडेटेड 3 July 2024 at 06:34 IST

यूपी पुलिस में दरोगा रह चुके हैं 'भोले बाबा', जिनके सत्संग में भगदड़ से 107 लोगों की हुई मौत

बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा’ ने करीब दो दशक से अधिक समय पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया था और अपने अनुयायियों की एक बड़ी तादाद खड़ी कर दी।

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हाथरस के सत्संग में कैसे पहुंचे 80 हजार से अधिक लोग? | Image: Republic

बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा’ ने करीब दो दशक से अधिक समय पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया था और अपने अनुयायियों की एक बड़ी तादाद खड़ी कर दी।

हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित ‘भोले बाबा’ के एक सत्संग में मंगलवार को भगदड़ की घटना में 116 लोगों की मौत और कई अन्य के घायल हो जाने के बाद उनके बारे में लोगों की जिज्ञासा बढ़ गयी।

बाबा के प्रभाव और अनुयायियों की अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार की रात को उत्तर प्रदेश शासन की ओर से भगदड़ के जिन मृतकों की सूची जारी की गयी उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एटा और हाथरस जिलों के अलावा आगरा,संभल,ललितपुर,अलीगढ़,बदायूं, कासगंज,मथुरा,औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से सत्संग में पहुंचे थे। खासतौर से बाबा के समागम में जाने वाली अधिकांश महिलाएं हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि 116 मृतकों में 108 महिलाएं हैं।

पुलिस के एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कासगंज जिले के पटियाली थाना क्षेत्र के बहादुर नगर के मूल निवासी करीब 70 वर्षीय ‘भोले बाबा’ का असली नाम सूरजपाल है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति (एससी) के सूरजपाल ने करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया और ‘भोले बाबा’ बनने के बाद उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। उनके सत्संग में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं।

पटियाली के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) विजय कुमार राना ने ‘पीटीआई-भाषा’ से इस बात की पुष्टि की कि ‘भोले बाबा’ बहादुर नगर के रहने वाले हैं और करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोडकर सत्संग करने लगे।

सीओ ने बताया कि सूरजपाल के तीन भाइयों में एक की मौत हो चुकी है और ‘भोले बाबा’ के रूप में ख्याति पाने वाले बाबा ने यहां बहादुर नगर की अपनी संपत्ति को एक ट्रस्ट बनाकर एक “केयर टेकर” नियुक्त किया है। बाबा की कोई संतान नहीं है और पत्नी को अपने साथ ही लेकर सत्संग में जाते हैं।

हाथरस के एक जानकार ने बताया, ‘‘बाबा प्रवचन देते हैं और सुरक्षा व्यवस्था के लिए अपने ‘वालंटियर’ रखते हैं, जो उनके सत्संग की व्यवस्था संभालते हैं।’’ उन्होंने बताया कि प्रवचन देने वाले ‘भोले बाबा’ ने डेढ़ दशक से अधिक समय पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर सत्संग शुरू किया था और ‘साकार विश्व हरि भोले बाबा’ बन गये।

बाबा के बहादुर नगर के आश्रम स्थापित होने के बाद गरीब और वंचित तबके के बीच में उनकी प्रसिद्धि तेजी से बढ़ी और लाखों की संख्या में उनके अनुयायियों बन गए। नारायण हरि की एक खासियत यह है कि वह भगवा वस्त्र नहीं पहनते हैं, बल्कि सफेद सूट और टाई पहनना पसंद करते हैं। उनका दूसरा पसंदीदा परिधान कुर्ता-पायजामा है। अपने प्रवचनों के दौरान वह कहते हैं कि उन्हें जो दान दिया जाता है, उसमें से वे कुछ भी नहीं रखते और उसे अपने भक्तों पर खर्च कर देते हैं

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Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 3 July 2024 at 06:34 IST