अपडेटेड 8 April 2025 at 21:58 IST
औरंगजेब ने जहां बिंदुमाधव मंदिर तोड़कर बनवाई थी धरहरा मस्जिद, BJP विधायक नीलकंठ तिवारी ने वहां लगाई झाड़ू
Varanasi News : सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें BJP विधायक नीलकंठ तिवारी वाराणसी की विवादित धरहरा मस्जिद में झाड़ू लगा रहे हैं।
Dharhara Masjid Varanasi : वाराणसी की दक्षिणी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक नीलकंठ तिवारी (Neelkanth Tiwari) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में नीलकंठ तिवारी वाराणसी की ऐतिहासिक धरहरा मस्जिद में झाड़ू लगाते हुए नजर आ रहे हैं और BJP कार्यकर्ताओं पीछे से मोदी-योगी जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं।
धरहरा मस्जिद के बारे में दावा किया जाता है कि इसे 1669 में औरंगजेब के शासन में बिंदुमाधव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। ये मस्जिद लंबे समय से विवादों में है और दो मुकदमे कोर्ट में चल रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो सोमवार सुबह का है। विधायक नीलकंठ तिवारी ने BJP के स्थापना दिवस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 अप्रैल के प्रस्तावित वाराणसी आगमन को लेकर विधानसभा के अलग वॉर्डो में स्वच्छता अभियान चलाया हुआ है। इसी के तहत उन्होंने पंचगंगा घाट, बिंदुमाधव मंदिर और मस्जिद समेत कई जगहों पर कार्यकर्ताओं के साथ झाड़ू लगातार स्वच्छता का संदेश दिया।
'पहली बार किसी MLA ने की सफाई'
धरहरा मस्जिद की देखरेख फिलहाल पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) कर रहा है। मस्जिद के मुअज्जिन (मस्जिद से अजान पढ़ने वाला व्यक्ति) ने बताया कि पहली बार किसी विधायक ने मस्जिद में साफ-सफाई की है। विधायक का यह वीडियो वायरल होने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। धार्मिक लिहाज से वाराणसी की ऐतिहासिक धरहरा मस्जिद खास महत्व रखती है।
बिंदुमाधव मंदिर या धरहरा मस्जिद?
पंचगंगा घाट पर स्थित बिंदुमाधव मंदिर और धरहरा मस्जिद का मामला ऐतिहासिक और संवेदनशील है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, बिंदुमाधव मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन मंदिर था, जिसका उल्लेख पुराणों और तुलसीदास की रचना विनय पत्रिका में भी मिलता है। बिंदुमाधव मंदिर को राजा मान सिंह ने बनवाया था। हिंदू पक्ष दावा करता है कि साल 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़कर धरहरा मस्जिद बनवाई थी। इस मस्जिद के पास ही पंचगंगा घाट पर बिंदुमाधव मंदिर आज भी मौजूद है।
धरहरा मस्जिद को आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है। इस मस्जिद में हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली के निशान आज भी देखने को मिलते हैं। हिंदू पक्ष दावा करता है कि इसमें मंदिर के अवशेष जैसे शिवलिंग और भगवान विष्णु से संबंधित प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं। इस मुद्दे पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि यह मूल रूप से एक मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। साल 1932 से मस्जिद ASI के संरक्षण में है।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 8 April 2025 at 21:58 IST
