अपडेटेड 22 May 2025 at 20:23 IST

UP: बलिया के इस गांव के नीचे छुपा है कौन सा खजाना? खुशखबरी मिलते ही हर शख्स हो जाएगा मालामाल; ONGC ने शुरू किया काम

जैसे-जैसे यहां पर खुदाई तेज हो रही है तेल मिलने के संकेत और भी पुख्ता होते जा रहे हैं। ऐसे में यहां रहने वालों में उत्साह की बड़ी लहर है। बलिया का स्वतंत्रता संग्राम से भी बड़ा नाता रहा है। ऐसे में वहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय की एक जमीन पर ओएनजीसी की टीम सर्वे कर रही थी।

Follow :  
×

Share


UP: बलिया के इस गांव के नीचे छुपा है कौन सा खजाना? खुशखबरी मिलते ही हर शख्स हो जाएगा मालामाल; ONGC ने शुरू किया काम | Image: Meta - AI

उत्तर प्रदेश में एक गांव के नीचे अकूत संपत्ति का भंडार मिलने वाला है। इस खबर ने पूरे सूबे में सनसनी फैला दी है। यूपी के बलिया जिले का मामला है जहां सागरपाली स्थित रट्टूचक के आस-पास के इलाके में  ओएनजीसी की कई महीनों से खुदाई चल रही है। ओएनजीसी का दावा है कि इस गांव के की जमीन के नीचे कच्चे तेल का बड़ा भंडारण है। जैसे-जैसे यहां पर खुदाई तेज हो रही है तेल मिलने के संकेत और भी पुख्ता होते जा रहे हैं। ऐसे में यहां रहने वालों में उत्साह की बड़ी लहर है। बलिया का स्वतंत्रता संग्राम से भी बड़ा नाता रहा है। ऐसे में वहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय की एक जमीन पर ओएनजीसी की टीम सर्वे कर रही थी। ये 2-3 साल पहले की बात है जब उनके सागरपाली गांव में ओएनजीसी के इंजीनियर आए और यहां के आस-पास की जमीन पर चुपचाप अपना सर्वे करते रहे।


कई दिनों की मेहनत और रिसर्च के बाद ओएनजीसी (ONGC) के इंजीनियर्स ने चित्तू पांडेय के खेत की 6.5 एकड़ जमीन की जांच की। जांच पूरी होने के कुछ ही दिन बाद, कंपनी ने उनके परिवार को एक प्रस्ताव दिया कि वो उनकी जमीन को सालाना 10 लाख रुपये किराये पर लेनाा चाहते हैं। चित्तू पांडेय का परिवार इस प्रस्ताव से सहमत हो गया और उन्होंने 3 साल के लिए अपनी जमीन कंपनी को दे दी। कंपनी ने यह भी कहा कि ज़रूरत पड़ी तो इस अवधि को एक साल और बढ़ाया जा सकता है। जमीन किराए पर लेने के तुरंत बाद ही खुदाई का काम शुरू हो गया। बड़ी-बड़ी मशीनें दिन-रात खेत में खुदाई कर रही हैं। बताया जा रहा है कि जमीन के 3000 मीटर नीचे कच्चे तेल के होने की संभावना है।

 

रोजाना खुदाई के लिए हो रहा 25 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक गांव में तेल की तलाश ने ग्रामीणों की ज़िंदगी में नई उम्मीद जगा दी है। ओएनजीसी (ONGC) के इंजीनियर्स ने कई दिनों की रिसर्च के बाद किसान चित्तू पांडेय के खेत की 6.5 एकड़ ज़मीन चुनी। जांच के बाद कंपनी ने चित्तू पांडेय की जमीन 3 साल के लिए ले ली है, और कंपनी ने इसे एक साल और बढ़ाने की संभावना भी जताई है। जमीन मिलने के बाद से खेत में दिन-रात खुदाई का काम जारी है। बड़ी-बड़ी मशीनें खेत की मिट्टी को चीर रही हैं और उम्मीद है कि 3000 मीटर की गहराई पर कच्चा तेल मिलेगा। खुदाई में हर दिन करीब 25 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और अप्रैल के अंत तक बोरिंग पूरी होने की संभावना है।


साल 1889 में मिला था असम में देश का पहला तेल का कुआं

तेल की खोज की इस प्रक्रिया ने पूरे गांव का माहौल बदल दिया है। ओएनजीसी की मौजूदगी से उस क्षेत्र की जमीन अब बेहद कीमती हो चुकी है। किसान अब अपनी ज़मीनें बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगर चित्तू पांडेय के खेत में तेल मिलता है, तो उनकी भी किस्मत बदल सकती है। अगर यहां से पॉजिटिव रिपोर्ट मिलती है, तो गंगा बेसिन में अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के कुएं खोदे जाएंगे। पिछले 5-6 सालों से बलिया के इस गांव में लगातार रिसर्च किया जा रहा था। इस गांव के जमीन के नीचे बड़े तेल भंडारण के संकेत मिले थे और भारी मात्रा में गैस का भंडार भी मिलने की संभावना है। अगर ये बात सही हुई तो बलिया को देश के बड़े शहरों में से एक गिना जाएगा। भारत में सबसे पहले तेल का कुआं साल 1889 में असम राज्य के डिगबोई शहर के पास मिला था। 

यह भी पढ़ेंः दिव्यांगजनों को बड़ी सौगात, सरकारी आवास में मिलेगा 4% आरक्षण

Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 22 May 2025 at 20:15 IST