अपडेटेड 24 January 2024 at 20:30 IST
जब रामलला पर जज साहब ने सुनाया था पहला बड़ा फैसला, खुद 'हनुमान' बने थे साक्षी; पूरी कहानी
Ayodhya News: राम मंदिर मामले में फैजाबाद कोर्ट ने जब बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का फैसला सुनाया था, तब एक अलौकिक घटना घटी थी।
Ayodhya News: अयोध्या राम मंदिर विवाद का 500 साल पुराना इतिहास है। 1822 में अदालत में पहले मुकदमे से लेकर संघर्ष के अंतिम दिनों तक कई ऐसी घटनाएं घटी, जिन्हें अलौकिक कहना गलत नहीं होगा। ऐसा ही एक मामला तब घटित हुआ था जब फैजाबाद कोर्ट ने पहली बार बाबरी मस्जिद का ताला रामभक्तों के लिए खोलने का आदेश दिया था।
आपको बता दें कि फैजाबाद कोर्ट के जज के एम पांडे खुद इस अलौकिक घटना के साक्षी थे और उन्होंने अपनी किताब वॉइस ऑफ कॉन्साइंस में इसका जिक्र भी किया था।
क्या है वो घटना?
साल 1984 में विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद की एक बैठक हुई थी, जिसमें दिल्ली के विज्ञान भवन से राम जन्मभूमि के लिए एक आंदोलन लॉन्च किया गया। तत्कालीन कार्यवाहक पीएम गुलजारी लाल नंदा ने धर्म संसद को अपना समर्थन दिया और कांग्रेस नेता दाऊ गयाल खन्ना को राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का संयोजक बनाया गया।
इसके बाद फैजाबाद के तत्कालीन जिला जज के एम पांडे ने साल 1986 में ये आदेश पारित किया था कि बाबरी मस्जिद के ताले खोल दिए जाएं और हिंदुओं को भी रामलला की प्रार्थना करने दिया जाए। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि जब वो ये फैसला सुना रहे थे, तो एक काला बंदर कोर्टरूम की छत पर आकर बैठा था। जब तक कोर्ट की कार्यवाही चली, वो बंदर वहीं बैठा रहा। इसके बाद जब वो फैसला सुनाने के बाद घर गए तो उन्होंने उसी बंदर को अपने घर के बरामदे में देखा। इस बार उन्हें एहसास हुआ कि वो भगवान की शक्ति का कोई रूप है और उन्होंने उसे प्रणाम किया।
1949 में भी घटी थी एक अलौकिक घटना
22-23 दिसंबर 1949 की वो घटना आज भी लोगों की जहन में कैद है, जब विवादित ढांचे के अंदर राम की प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी। राम भक्तों का मानना है कि रामलला की प्रतिमा खुद ही प्रकट हो गई थी। एक मुस्लिम कॉन्सटेबल ने भी दावा किया था कि उसने मस्जिद में एक भगवान जैसे बच्चे का रूप देखा था, जो देखते ही देखते गोल्डन लाइट में बदल गई। इसे देखते ही वो बेहोश हो गया।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 24 January 2024 at 20:30 IST