अपडेटेड 10 July 2024 at 17:26 IST

हाथरस कांड में 6 अफसरों पर गिरी गाज, लेकिन स्वयंभू बाबा सूरजपाल का FIR में नाम तक नहीं; आखिर क्यों?

Hathras Stampede: हाथरस में स्वयंभू बाबा सूरजपाल के सत्संग में 2 जुलाई को भगदड़ में 121 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में बाबा के खिलाफ FIR तक दर्ज नहीं हुई।

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स्वयंभू बाबा सूरजपाल का नाम FIR में क्यों नहीं? | Image: Republic

Hathras Stampede News: उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस कांड पर SIT की रिपोर्ट मिलने के बाद 9 जुलाई को SDM और CO समेत 6 अफसरों को सस्पेंड किया है। इस रिपोर्ट में घटना के पीछे बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया गया है। लेकिन जिसके उपदेश सुनने के लिए लाखों की भीड़ इकट्ठा हुई थी, क्या उनके ऊपर कोई कार्रवाई हुई है? जवाब है, अभी तक नहीं। सिकंदराराऊ थाने में दो जुलाई को दर्ज FIR में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ ​​नारायण साकार हरि उर्फ ​​भोले बाबा का नाम तक नहीं है। 

हाथरस के फुलरई गांव में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ ​​नारायण साकार हरि उर्फ ​​भोले बाबा के सत्संग में 2 जुलाई को भगदड़ मची थी। जिसमें 121 लोगों की जान चली गई थी। जांच के लिए सरकार की तरफ से गठित SIT ने अपनी रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन के स्तर पर भी लापरवाही होने की बात कही है। जिसके कारण 2 जुलाई को यह घटना हुई। रिपोर्ट में भगदड़ के लिए आयोजकों को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया गया है कि उन्होंने भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए। सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन की भी जवाबदेही तय की गई है। लेकिन FIR से लेकर SIT की रिपोर्ट तक बाबा पर कोई आरोप नहीं लगा है।

स्वयंभू बाबा पर FIR क्यों नहीं?

SIT की रिपोर्ट कहती है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया और वे वरिष्ठ अधिकारियों को उचित सूचना देने में विफल रहे। SIT रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी समेत 6 लोगों को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित किया है। SIT ने भगदड़ के लिए मुख्य रूप से कार्यक्रम आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया है और आयोजकों में स्वयंभू बाबा का नाम नहीं है। जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजकों और तहसील स्तर की पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को दोषी पाया है।

हादसे के बाद जब सीएम योगी आदित्यनाथ हाथरस पहुंचे तो उनसे FIR में बाबा का नाम ना होने पर सवाल पूछा गया। सीएम ने कहा- 'पहले FIR उन लोगों के खिलाफ होती है, जिन लोगों ने कार्यक्रम की परमिशन के लिए आवेदन दिया था। इसके बाद जांच का दायरा बढ़ाया जाता है और जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।'

SIT ने रिपोर्ट में क्या कहा?

SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सिकंदराराऊ के उप जिलाधिकारी ने आयोजन स्थल का निरीक्षण किए बिना ही कार्यक्रम की अनुमति दे दी और वरिष्ठ अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया। उन्होंने बताया कि अधिकारी ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया। SIT ने सिंकदराराऊ में तैनात संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की सिफारिश की है।

SIT ने अपनी रिपोर्ट में आयोजकों पर भी सवाल खड़े किए हैं। SIT ने कहा- आयोजकों ने तथ्य छिपाकर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति ली। अनुमति के लिए लागू शर्तों का पालन नहीं किया गया। आयोजकों ने अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित किया, लेकिन पर्याप्त और सुचारू व्यवस्था नहीं की गई। रिपोर्ट के अनुसार आयोजन समिति से जुड़े लोगों को अराजकता फैलाने का दोषी पाया गया है। 

(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 10 July 2024 at 17:26 IST