अपडेटेड 4 August 2025 at 19:37 IST
EXPLAINER/ अमेरिकी अर्थव्यवस्था की लग जाएगी लंका! भारत-चीन-रूस ने RIC को जिंदा किया तो क्या होगा? दिल्ली के पाले में गेंद
RIC फ्रेमवर्क को पहली बार 1990s के अंत में सामने लाया गया था। इसके कर्ताधर्ता पूर्व रूसी प्रधानमंत्री येगेनी प्रिमाकोव थे। उनकी सोच सीधी थी कि यूरेशिया के तीन बड़े देश एक साथ आकर क्षेत्रीय प्रभाव के जरिए मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर को एक नया आकार दें।
What is RIC Russia-China-India Alliance : दुनिया में जियोपॉलिटिक्स की हवा बदल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'घमंड' को चूर करने के लिए यूरोपीय देश तो पहले ही एकजुट होने लगे हैं। दूसरी तरफ, कनाडा का फिलिस्तीन को मान्यता देना भी ये साबित कर रहा है कि अमेरिका के पड़ोसी भी ट्रंप से कन्नी काटने में लगे हुए हैं।
वहीं, भारत, रूस और चीन के बीच भी ऐसी खिचड़ी पक रही है, जिसपर डोनाल्ड ट्रंप लगातार नजर बनाए हुए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है RIC अलायंस, जिसे ट्रंप के खिलाफ एक और मोर्चे के रूप में देखा जा रहा है। पिछले दिनों ये हवा और तेज हो गई कि भारत-रूस-चीन इस अलायंस को फिर से जिंदा कर सकते हैं। इसके लिए रूस और चीन ने तो सामने से इस आइडिया को पेश किया है, लेकिन भारत की डिप्लोमेसी कभी भी इतनी आसान तो नहीं होती कि फैसला ऑन-द-स्पॉट ले लिया जाए। हालांकि, ये तो साफ है कि गेंद अब भारत के पाले में है और डोनाल्ड ट्रंप की भलाई इसी में है कि वो भारत से 'दुश्मनी' लेने की सोच को पीछे छोड़कर आसमान से जमीन पर आ जाएं।
क्या है RIC?
RIC फ्रेमवर्क को पहली बार 1990s के अंत में सामने लाया गया था। इसके कर्ताधर्ता पूर्व रूसी प्रधानमंत्री येगेनी प्रिमाकोव थे। उनकी सोच सीधी थी कि यूरेशिया के तीन बड़े देश एक साथ आकर क्षेत्रीय प्रभाव के जरिए मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर को एक नया आकार दें। 2000s से लेकर 2010s की शुरुआत तक लगातार मीटिंग्स का दौर चलता रहा। यह मीटिंग सीनियर अधिकारियों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें बड़े-बड़े नेता भी शामिल थे।
NATO या EU की तरह RIC एक मिलिट्री या इकोनॉमिक ब्लॉक तो नहीं बन पाया, लेकिन इसके जरिए UN और WTO में बैकचैनल और सहयोग बढ़ाने में काफी मदद मिली। RIC के निष्क्रिय होने के दो अहम कारण थे, जिसमें एक तो महामारी थी जिसकी वजह से कई ग्रुप सस्पेंड हो गए और वर्चुअल मीटिंग्स को जरूरी फॉर्मेट के लिए ही लागू किया गया, जिसमें G20 या BRICS जैसे संगठन शामिल थे। RIC ग्रुप को बंद करने का दूसरा कारण गलवान घाटी का संघर्ष था, जिसकी वजह से भारत-चीन के रिश्ते खराब हो गए थे।
क्या भारत RIC के लिए राजी होगा?
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में चीन का दौरा किया था, जहां उनकी द्विपक्षीय बैठक वांग यी और सर्गेई लवरोव के साथ हुई है। इसके अलावा, जयशंकर ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की थी, जिसे भारत-चीन संबंधों को बेहतर करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इस वक्त भारत, चीन और पाकिस्तान दोनों तरफ से किसी भी संघर्ष से बचने की कोशिश में है और साथ ही, भारत की मंशा ये भी है कि ग्लोबल ऑर्डर में बैलेंस स्थापित हो। ऐसे में अगर भारत RIC के लिए मान जाता है तो नई दिल्ली के लिए ये सबसे फायदेमंद हो सकता है।
हालांकि, ये इतना आसान नहीं है। इसका कारण ये है कि भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में कई मोर्चों पर सहयोग बढ़ा है। भारत क्वाड का भी सदस्य है और I2U2 (भारत, इजरायल, यूएई और अमेरिका) का भी। इसके अलावा EU के साथ भी व्यापार संबंधों में बढ़ोत्तरी हुई है। भारत की डिप्लोमेसी को ध्यान से देखें तो ये भी साफ है कि भारत चीन पर कभी भी पूरी तरह से भरोसा नहीं कर सकता है। ऐसे में RIC कभी भी पूरी तरह से फंक्शन नहीं कर सकता, अगर भारत इसमें चीन या रूस का पर्सनल फायदा देखता है।
इस मामले में भारत का आधिकारिक बयान ये है कि RIC पर कोई भी निर्णय "पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तरीके से" लिया जाएगा। ये बयान बहुत कुछ कहता है। यह दर्शाता है कि नई दिल्ली दरवाजा बंद नहीं कर रहा है, लेकिन इसके क्या परिणाम होंगे, ये सोचे बिना आगे भी नहीं बढ़ रहा है। ऐसे में देखना होगा कि डोनाल्ड ट्रंप का 'घमंडी' वाला रवैया भारत को अमेरिका के खिलाफ निर्णय लेने के लिए मजबूर करता है या नहीं।
भारत-चीन-रूस ने RIC को जिंदा किया तो क्या होगा?
अगर भारत-चीन और रूस एक साथ आ जाते हैं तो इससे अमेरिका की अगुवाई वाले संगठनों की हवा निकल जाएगी। RIC को NATO के बराबर की ताकत बनाया जा सकता है, जो डोनाल्ड ट्रंप के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। इससे अमेरिका का दबदबा घटने की भी संभावना है और वर्ल्ड ऑर्डर में भी बदलाव आ सकता है। ऐसे में ये तो साफ है कि अपने घमंड को बरकरार रखने के लिए और इन तीनों महाशक्तियों को टक्कर देने के लिए ट्रंप अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 4 August 2025 at 19:37 IST