अपडेटेड 20 August 2024 at 13:25 IST

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई नेशनल टास्क फोर्स, कौन-कौन शामिल और क्या रहेगा इसका काम? जान लीजिए सब कुछ

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्वास्थ्य सेवाकर्मियों की सुरक्षा के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों की एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया।

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सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स बनाई | Image: File

National Task Force: कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और फिर उसकी हत्या की घटना के बाद से पूरा देश आक्रोशित है। खासकर डॉक्टर्स ने सड़कों पर उतरकर घटना का विरोध किया और साथ ही अपनी सुरक्षा को लेकर भी उन्होंने चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट भी घटना के बाद से चिंतित है और ऐसे में अदालत ने डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्वास्थ्य सेवाकर्मियों की सुरक्षा के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों की एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि अदालत 'डॉक्टरों के लिए सुरक्षित परिस्थितियों के अभाव के बारे में बहुत चिंतित है।' CJI ने कहा, 'हमें काम की सुरक्षित परिस्थितियों के लिए एक मानक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए राष्ट्रीय सहमति बनाने की जरूरत है। आखिरकार, संविधान के तहत समानता का क्या मतलब है, अगर महिलाएं अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं हो सकती हैं।' सीजेआई ने घोषणा की कि न्यायालय एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन कर रहा है, जिसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि के डॉक्टर होंगे।

राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य कौन हैं?

  • सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन
  • डॉ. डी. नागेश्वर रेड्डी
  • डॉ. एम. श्रीनिवास
  • डॉ. प्रतिमा मूर्ति
  • डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी
  • डॉ. सौमित्र रावत
  • प्रो. अनीता सक्सेना, प्रमुख कार्डियोलॉजी, एम्स दिल्ली
  • प्रो. पल्लवी सप्रे, डीन ग्रांट मेडिकल कॉलेज मुंबई
  • डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी विभाग, एम्स

टास्क फोर्स में पदेन सदस्य भी शामिल होंगे

  • भारत सरकार के कैबिनेट सचिव
  • भारत सरकार के गृह सचिव
  • सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष
  • राष्ट्रीय परीक्षक बोर्ड के अध्यक्ष

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क्या होगा नेशनल टास्क फोर्स का काम?

सीजेआई ने कहा कि टास्क फोर्स चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, भलाई और अन्य संबंधित मामलों पर विचार करेगी। लिंग आधारित हिंसा को रोकना, इंटर्न, रेजिडेंट, नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों के सम्मानजनक कामकाज के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करना होगा। कमेटी इन विषयों पर भी अपनी रिपोर्ट देगी।

  • आपातकालीन कक्ष के क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है।
  • हथियारों को प्रवेश करने से रोकने के लिए बैगेज स्क्रीनिंग की आवश्यकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति मरीज नहीं है तो उसे एक सीमा से अधिक की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
  • भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा।
  • डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्ष और डॉक्टरों, नर्सों के आराम करने के लिए लिंग तटस्थ स्थान होना चाहिए।
  • ऐसे क्षेत्रों में बायोमेट्रिक्स और चेहरे की पहचान होनी चाहिए।
  • सभी क्षेत्रों में उचित प्रकाश व्यवस्था, सभी स्थानों पर सीसीटीवी लगाना।
  • चिकित्सा पेशेवरों के लिए रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक परिवहन की व्यवस्था।
  • दुख और संकट से निपटने के लिए वर्कशॉप का आयोजन।
  • संस्थागत सुरक्षा उपायों का तिमाही ऑडिट।
  • आने वाले लोगों के अनुरूप पुलिस बल की स्थापना।
  • POSH अधिनियम चिकित्सा प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, इसलिए ICC का गठन किया जाना चाहिए।  
  • चिकित्सा व्यवसाय की आपातकालीन स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर।

3 हफ्ते में टास्क फोर्स से रिपोर्ट मांगी गई

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स से नेशनल प्लान मांगा है। साथ ही टास्क फोर्स से तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में फाइनल रिपोर्ट करने को कहा है। कोलकाता की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले में सुप्रीम कोर्ट अब अगली सुनवाई 22 अगस्त को करेगा।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 20 August 2024 at 13:25 IST