अपडेटेड 30 August 2025 at 12:48 IST

आज जो हो रहा है वो 30 साल में ही ग्लोबलाइजेशन के अंत की शुरुआत हो गई है, हम टैरिफ वॉर के विजेता बनेंगे- सुधांशु त्रिवेदी ने समझाया कैसे

Samvad 2025: रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम नए भारत का शंखनाद 'संवाद' में मनोरंजन जगत से लेकर राजनीति जगत की कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की। इस दौरान बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी भी रिपब्लिक के इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

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सुधांशु त्रिवेदी | Image: Republic

Samvad 2025: रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम नए भारत का शंखनाद 'संवाद' में कई नामचीन हस्तियों ने शिरकत की। इस दौरान बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने बताया कि आज जो हो रहा है, वो 30 साल में ही ग्लोबलाइजेशन के अंत की शुरुआत हो गई है, हम टैरिफ वॉर के विजेता बनेंगे।

सुधांशु त्रिवेदी ने बताया कि अमेरिका ने जो सोचा था, वो हो नहीं पाया। ऐसे में चीन इकोनॉमिक सुपर पावर बन गया, और भारत प्रोमिनेंट इकोनॉमिक पावर।

क्या बोले सुधांशु त्रिवेदी?

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "1 जनवरी 1995 को WTO बना था, और जो उस समय अमेरिका ने यह सोचा था कि भारत और चीन जैसे देशों की जनसंख्या का इस्तेमाल होगा और उनकी कंपनी पावरफुल होंगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा। चीन इकोनॉमिक सुपर पावर बन गया। इंडिया प्रोमिनेंट इकोनॉमिक पावर बन गया। तो कई बार यह भी होता है कि होई है वही जो राम रचि राखा, को करी तर्क बढ़ावे साखा। सोचा कुछ और था, हो कुछ और गया। आज मैं कह सकता हूं कि आज जो हो रहा है, वह केवल 30 वर्षों में ग्लोबलाइजेशन के अंत की शुरुआत है और अब आप पूरी दुनिया में उपनिवेशीकरण को देखें, जो सिर्फ 200 सालों तक चला, जिसमें हम गुलाम भी रहे, और फिर कम्युनिज्म 75 सालों से भी कम समय तक चला।"

मल्टीपोलर वर्ल्ड की ओर बढ़ रही दुनिया

बीजेपी नेता ने आगे कहा, "सोवियत संघ 1922 में बना। 1991 में बिखर गया, और अब तो ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण सिर्फ 30-35 सालों में ही दम तोड़ने लगा है। उस समय ग्लोबलाइजेशन लाया किस लिए गया था? बेनिफिशरी हम हुए, और अब मैं कह रहा हूं कि ये जो टैरिफ वॉर हो रहा है, इसके बेनिफिशरी हम होने जा रहे हैं। आप कहेंगे कैसे? अब सिंगल पॉइंट कंट्रोल खत्म हो जाएगा। एफटीएस बनेंगे यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ किया। ब्रिटेन के साथ किया, यूएई के साथ किया। इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पे किसी का कोई कंट्रोल नहीं रहेगा। जाहिर है, इससे बहुध्रुवीय विश्व (मल्टीपोलर वर्ल्ड) का निर्माण होगा।। इसमें किसी को कोई कंफ्यूजन नहीं रहना चाहिए।"

मल्टीपोलर वर्ल्ड से किसको फायदा होगा?

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "आप कहेंगे मल्टीपोलर वर्ल्ड से किसको फायदा होगा? तो मैं कहूंगा इंडिया। आप कहेंगे कैसे, तो अब मैं आपको सिर्फ दो-तीन फैक्ट्स बताना चाहता हूं। देखिए अमेरिका ने नाटो के कंट्रीज से कहा कि आप अपना डिफेंस एक्सपेंडिचर 5% बढ़ाइए, वर्ना हम आपको सपोर्ट नहीं कर पाएंगे। अब यूरोप के सामने ऑप्शन क्या होगा? वो खुद अपना 5% एक्सपेंडिचर बढ़ाकर डिफेंस प्रोडक्शन शुरू करें। ये उनके लिए इकोनॉमिकली बहुत चैलेंजिंग होगा। दूसरा यूरोप के सामने एक और प्रॉब्लम है। दो-तीन बड़े देशों को छोड़ दीजिए। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कुछ हद तक इटली। बाकी सब इतने छोटे-छोटे देश हैं। किसी के पास कुछ है, किसी के पास कुछ है, सब कुछ किसी के पास नहीं है। वहां पे लेबर रेट इतने हाई हैं और अगर वो टैरिफ से बचने के लिए अमेरिका में शिफ्ट करें मैन्युफैक्चरिंग तो वहां भी लेबर रेट उससे ज्यादा हाई है और जनसंख्या बूढ़ी है। तो फिर दो ही ऑप्शन बचेंगे। या तो चीन की तरफ शिफ्ट हो जाओ, या भारत की तरफ। चीन पर लोगों को भरोसा नहीं है। तो उनके पास भारत के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होगा।"

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 22 August 2025 at 17:33 IST