अपडेटेड 27 February 2025 at 19:03 IST

हड्डी के दुर्लभ विकार से पीड़ित बच्ची का सफल इलाज, नौ वर्ष बाद अपने पैरों पर चल पाई

जन्म से ही घुटने के दुर्लभ विकार से पीड़ित नौ वर्षीय आफरीन का यहां के एक निजी अस्पताल में सफलतापूर्वक उपचार होने के बाद वह पहली बार अपने पैरों पर चली।

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Successful treatment of a girl suffering from a rare bone disorder | Image: AI

जन्म से ही घुटने के दुर्लभ विकार से पीड़ित नौ वर्षीय आफरीन का यहां के एक निजी अस्पताल में सफलतापूर्वक उपचार होने के बाद वह पहली बार बिना किसी सहारे के अपने पैरों पर चल सकी है।

‘आकाश हेल्थकेयर’ में हड्डी रोग और ‘जॉइंट रिप्लेसमेंट’ के वरिष्ठ चिकित्सक विक्रम खन्ना ने बताया कि बच्ची ‘न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2’ (एनएफ2) से पीड़ित थी और वह जन्म से ही चलने में अक्षम थी। ‘न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2’ (एनएफ2) एक आनुवंशिक स्थिति है, जिसमें नसों में ट्यूमर बढ़ने लगता है।

उन्होंने बताया कि छह वर्ष की उम्र में बच्ची की सर्जरी की गई, लेकिन इसके बावजूद उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। खन्ना ने बताया कि बच्ची की जांच करे रहे चिकित्सीय टीम के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि मुख्य समस्या उसकी हड्डियों का ठीक से न जुड़ पाना थी। उन्होंने बताया कि बच्ची की सर्जरी के बावजूद भी उसकी हड्डियां ठीक से जुड़ नहीं पाई थीं।

उन्होंने एक बयान में कहा कि आफरीन की अस्थि मज्जा (बोन मैरो) पतली थी और उसकी हड्डियां भी खराब थीं, जिससे फ्रैक्चर होने का खतरा था। खन्ना ने बताया कि आफरीन का इलाज करने के लिए पारंपरिक शल्य चिकित्सा पद्धतियां- अस्थि प्लेटिंग और ‘ग्राफ्टिंग’ पर विचार किया गया, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हुए।

आकाश हेल्थकेयर में हड्डी रोग और ‘जॉइंट रिप्लेसमेंट’ विभाग के निदेशक और प्रमुख आशीष चौधरी ने कहा कि बच्ची की सर्जरी करने के दौरान उसके दोनों पैरों से असामान्य ऊतक वृद्धि (हमार्टोमा) को हटाया गया और इसके बाद हड्डी का प्रत्यारोपण किया गया।

चौधरी ने बताया, ‘‘इसके बाद हमने ‘टाइटेनियम इलास्टिक नेलिंग सिस्टम’ (टीईएनएस) का उपयोग करके हड्डी को स्थिर किया...’’

उन्होंने बताया कि हड्डियों को संरेखित रखने के लिए ‘इलिजारोव एक्सटर्नल फिक्सेटर’ लगाया गया था।

‘इलिजारोव एक्सटर्नल फिक्सेटर’ एक प्रकार का उपकरण है जिसका उपयोग आर्थोपेडिक सर्जरी में हाथ या पैर की क्षतिग्रस्त हड्डियों को लंबा करने या उनका आकार बदलने के लिए किया जाता है।

चौधरी ने बताया, ‘‘इलिजारोव को तब तक रखा गया जब तक एक्स-रे से हड्डी के जुड़ने की पुष्टि नहीं हो गई। इस अवधि के दौरान हमने बच्ची को वॉकर के साथ चलने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उसकी हड्डियां मजबूत हो सकें।’’

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 27 February 2025 at 19:03 IST